पुष्कर/राजस्थान। पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्या मोरारी बापू ने कहा कि चराचर में व्याप्त है परमात्मा। विराट ही विष्णु है। हम सर्वत्र विष्णु का दर्शन करेंगे तो कोई वातावरण या कुसंग प्रदूषित कैसे कर सकेंगे। यदि- वसुधैव कुटुंबकम् की भावना अपनायेंगे तो सबकी एकता हमारी ही होगी। बिना पैर के धड़ क्या करेगा? सब एक दूसरे के पूरक ही हैं। किसी को पीड़ा पहुंचायेंगे, तो सुखी नहीं हो सकेंगे। यही बात वैज्ञानिक भी कहते हैं, भागवत भी कहता है और सामान्य विद्यार्थी भी कहता है। श्रीमद्भागवत ज्ञानप्रदीप भागवत ज्ञान प्रदीप है, इस प्रदीप की हम सबको आवश्यकता है। बाल, वृद्ध सबको। अनपढ़ हो चाहे पढ़ा लिखा हो, गृहस्थी हो या सन्यासी, आस्तिक हो या नास्तिक। सबको ज्ञान की आवश्यकता है। इस विषय में कोई विरोध नहीं। समाधान-आज हमने जल, वायु, आकाश यहां तक अंतःकरण तक प्रदूषित कर लिया है। ऐसे में भागवत के संकल्प मात्र से समाधान शक्य है। माध्यम- हमारी विडंबना यह है कि हम इस भ्रम में पड़ जाते हैं कि हमने सृजन किया है। वस्तुतः व्यक्ति एक माध्यम होता है जिसके द्वारा कोई कृति संसार के सामने आती है। प्रमुख संसार- जिस प्रकार सूर्य के प्रकाश से अन्न पुष्ट होते हैं, वैसे ही श्रीमद्भागवत से भिन्न-भिन्न ग्रंथ पुष्ट होते हैं। जैसे सूर्य विश्व की आत्मा है, वैसे ही श्रीमद्भागवत भी भगवान का साकार रूप है। हमारी आदत केवल मूर्ति में भगवान देखने की हो गई है।सीयराममय सब जग जानी। करउँ प्रणाम जोरि जुग पानी।जो प्रभुमय संसार को देखता है वही वास्तव में ईश्वर का सच्चा भक्त है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम,श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।
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