पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि सत्संग से कुछ भी असंभव नहीं-अर्जुन ने भी मन को वश में करना कठिन समझकर कातर शब्दों में भगवान से यही कहा था- हे भगवान! यह मन बड़ा ही चंचल, हठीला, दृढ़ और बलवान है, इसे रोकना तो वायु के समान अत्यंत दुष्कर समझता हूं। मन को जीतना कठिन अवश्य है, भगवान् ने इस बात को स्वीकार किया, पर साथ ही साथ उपाय भी बतला दिया। वही भगवान ने कहा कि अर्जुन! इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस चंचल मन का निग्रह करना बड़ा ही कठिन है। परंतु अभ्यास और वैराग्य से यह बस में हो सकता है। इससे यह सिद्ध हो गया कि मन को बस में करना कठिन भले ही हो, पर असंभव नहीं, और इसके बस किये बिना दुखों की निवृत्ति नहीं। उन्होंने आगे कहा कि वैराग्य का साधन-रमणीय और सुख रूप दिखने वाली वस्तु में ही मन लगता है। यदि यह रमणीयता और सुखरूपता विषयों से हटकर परमात्मा में दिखाई देने लगे तो यही मन तुरन्त विषयों से हटकर परमात्मा में लग जाए। यही वैराग्य का साधन है और वैराग्य ही मन को जीतने का एक उत्तम उपाय है। सच्चा वैराग्य तो संसार के इस दिखने वाले स्वरूप का सर्वथा अभाव और उसकी जगह परमात्मा का नित्य भाव प्रतीत होने में है। परन्तु आरम्भ में नये साधक को मन बस करने के लिये इस लोक और परलोक के समस्त पदार्थों में दोष और दुःख देखना चाहिये, जिससे मन का अनुराग उनसे हटे। मन को बस में करने में नियमानुवर्तिता से बड़ी सहायता मिलती है। सारे काम ठीक समय पर नियमानुसार होना चाहिए। प्रातः काल बिछौने से उठकर रात को सोने तक दिन भर के कार्यों की एक ऐसी नियमित दिनचर्या बना लेनी चाहिए। जिससे जिस समय कार्य करना हो, मन अपने आप स्वभाव से ही उस समय उसी कार्य में लग जाय। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन,जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।