पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा किश्री भक्तमाल जी का माहात्म्य श्री भक्तमाल जी की कथा अत्यंत दुर्लभ है। ये संतों की निधि है। अगर किसी में भक्ति का लेश मात्र भी न हो ऐसा व्यक्ति भी श्रद्धा से भक्तमाल की कथा श्रवण करें, भक्तमाल पढ़े, चिंतन करें, भक्तों के मंगलमय चरित्र का चिंतन करें, तो उसके जीवन में भगवान की भक्ति का आगमन हो जाता है। भक्तमाल सुनने,पढ़ने वाला भगवान का अनन्य भक्त बन जाता है। भक्तमाल की बहुत महिमा है। भक्तमाल के प्रधान श्रोता स्वयं भगवान है। याके श्रोता आप हैं कीन्ही हरि निरधार।। भगवान स्वयं श्रोता है भक्तमाल के, भगवान के पीछे संत लोग हैं और भक्त लोग हैं। इसलिए भक्तमाल की कथा में भगवान श्री राम जी का आवाहन किया जाता है, जैसे भगवान की कथा में हनुमान जी को आवाहन किया जाता है।” आइए हनुमंत विराजिये कथा करूं मति अनुसार। प्रेम सहित गादी धरूँ पधारिये पवन कुमार।।श्री रामकथा के प्रधान श्रोता श्री हनुमान जी है, ऐसे ही भक्तमाल ग्रंथ के प्रधान श्रोता ठाकुर जी हैं, भगवान है। इसलिए भगवान को ही बुलाया जाता है। हरि जू आई विराजिये कथा सुनो इतिहास। तुम श्रोता भक्तमाल के तव पद रज हम दास।। तुम पाछे जो औरहूं श्रोता है रसखान। तिनके सकल मनोरथ पुरवहुं श्री भगवान।। प्रार्थना की गई है कि आपके पीछे जो रसिक श्रोता जन है, उनके मनोरथों को हे नाथ कृपा करके आप पूर्ण करना। भक्तमाल की कथा कहने सुनने से ज्ञान, भक्ति, वैराग्य की शिक्षा मिलती है। भक्तों की कैसी रहनी होनी चाहिए इसकी शिक्षा मिलती है। जीवन में सारे सुखों का मूल ईश्वर की प्रसन्नता से है। हम सत्कर्म करते हैं तो ईश्वर हम पर प्रसन्न होते हैं और हमारे जीवन में सुख रूपी फल प्राप्त होता है। हम बुरे कर्म करते हैं तो परमात्मा हमसे रुष्ट हो जाते हैं और हमारे जीवन में दुःख रूपी फल प्राप्त होता है। भक्तमाल के सत्संग से सत्कर्म की प्रेरणा मिलती है और भक्तमाल की कथा श्रवण करने से ईश्वर की प्रसन्नता भी प्राप्त होती है जो सारे सुखों का मूल है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम
सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।