नई दिल्ली। देश की गरीबी को लेकर थोड़ी सी अच्छी खबर है। गरीबों के हित में चलाई जा रही योजनाओं के अब सकारात्मक परिणाम मिलने लगे हैं। विगत 8 वर्षों के दौरान अति गरीबों की संख्या में करीब 12 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह इस बात का प्रमाण है कि देश की अर्थव्यवस्था का आधार मजबूत हो रहा है। विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2011 के मुकाबलें, 2019 में गरीबी 12.3 प्रतिशत घटी है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का मानना है कि भारत सरकार की ओर से गरीबों के लिए बनाई गई योजनाएं एक सार्थक कदम साबित हो रहे हैं। सरकार की ओर से इस समय दी जा रही खाद्य वस्तुओं के कारण 40 वर्षों के दौरान, उपभोग और समानता का आंकड़ा भी अपने निम्नतम स्तर आ गया है। अर्थात इस समय जिस तरीके से राशन का वितरण समान रूप से किया जा रहा है, उसमें खानपान को लेकर जो असमानता थी वह कम हो गई है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि छोटी जोत के किसानों की आमदनी में भी दो फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसका मतलब यह है कि खेती को बढ़ावा देने को लेकर सरकार की चल रही योजनाओं का भी कुछ ना कुछ असर अवश्य पड़ा है। पिछले एक दशक में गरीबी तो कम जरूर हुई है लेकिन इसे उतना भी कम नहीं कहा जा सकता जितने की उम्मीद की गई है क्योंकि भारत की जनसंख्या में भी पिछले 10 साल में काफी तेजी से बढ़ोतरी हुई है।
शहरी गरीबी बढ़ाने में 2016 में की गई नोटबंदी का जबरदस्त प्रभाव पड़ा है। शहरी गरीबी में एकाएक दो फीसदी की बढ़ोतरी एक अच्छा संकेत नहीं था। गरीबों को मुफ्त में उपलब्ध कराए जा रहे अनाज का सबसे खासा प्रभाव है कि उन्हें पेट भरने के लिए पर्याप्त राशन मिला। संयुक्त राष्ट्र एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2015-2016 में भारत में 27.9 फीसदी लोग गरीब थे। अब इसमें लगातार कमी आ रही है।
कोरोना ने एक साल में गरीबों की संख्या में काफी तेजी से बढ़ोतरी की। भारत में 2020 में 7.5 करोड़ लोग कोरोना की वजह से गरीबी के दलदल में चले गए। 20- 21 के दौरान करीब डेढ़ से ढाई करोड़ लोग गरीबी की जद में आ गए थे। लेकिन 80 करोड़ लोगों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली से खाद्यान्न के मुफ्त वितरण की व्यवस्था ने काफी राहत दी और गरीबी की गर्त में जाने से बहुत अधिक लोग बच भी गए।
कोरोना काल से अब तक गरीबों को लगातार मुफ्त राशन दिया जा रहा है। हालांकि अभी गरीबी की स्थिति को ठीक करने के लिए काफी चुनौतियां हैं और इनको बड़ी आसानी से नहीं लिया जा सकता। लेकिन यह तय है कि गरीबी थोड़ी भी कम हुई है तो यह एक सकारात्मक संदेश है। अभी भी सरकार को गरीबों के हित के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, पेट भरने के लिए रोटी और मकान के क्षेत्र में बहुत काम करने की जरूरत है।