व्यवहारिक प्रवृत्ति भी है प्रभु की भक्ति: दिव्य मोरारी बापू

राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि परम पुण्यवान, प्रशंसनीय भक्त श्रीधन्नाजी की भगवत्-भागवत सेवा की हम सराहना करते हैं। जिनके खेत में बिना बीज बोये ही अंकुर जमा। घर पर वैष्णवों के आने पर बोने के लिये रखा हुआ बीज का गेहूं उन्हें खिला दिये और माता-पिता के डर से खेत में खाली-खाली हल चला दिये। (परंतु संत-सेवा के प्रताप से बिना बोये भी खेत में गेहूं बढ़िया जमा अतः) पास-पड़ोस के किसान इनके खेत की बहुत बढ़ाई करते थे।(जब सी धन्ना जी ने जाकर देखा तो) साधु-सेवा की प्रीत-रीति एवं प्रतीति को प्रत्यक्ष पाया। इस बात को सुनकर संसार के लोग आश्चर्य मानते हैं कि वोया कहीं अन्यत्र गया और उपजा कहीं अन्यत्र। सत्संग के अमृतबिंदु-जीवन का लक्ष्य- ईश्वर की उपासना रिद्धि-सिद्धि के लिए नहीं, हृदय की शुद्धि के लिए करो। प्रभु को खुश रखने का लक्ष्य रख कर ही प्रत्येक काम करो। हृदय यदि हमेशा भगवद्भाव में ही द्रवित रहता है तो पाप के विकार नष्ट होते हैं। प्रभु को राजी रखने के लिए की गई प्रत्येक व्यवहारिक प्रवृत्ति भी प्रभु की भक्ति ही है। जिस तरह पैसा कमाने के लिए पसीना बहाते हो, उसी तरह परमात्मा को प्राप्त करने के लिए भी पसीना बहाओ। जीव ईश्वर के साथ जैसा संबंध बाँधता है, वैसा संबंध ईश्वर टिकाए रखता है। कामनाओं को प्रभु के साथ जोड़ दो, निष्काम बन जाओगे। जीवन में परमात्मा को प्राप्त करने का लक्ष्य बनाओ। जीवन रूपी गाड़ी में यदि जीव मुसाफिर है तो ईश्वर ड्राइवर है। भगवान भोग के नहीं भावना के भूखे हैं। प्रभु पैसा नहीं हृदय का प्रेम मांगते हैं। परम पूज्य संत श्री घनश्याम दास जी महाराज ने बताया कि कल की कथा में मां शबरी की कथा एवं नवधा भक्ति की कथा होगी। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश)। श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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