नई दिल्ली। आए दिन देश के कोने-कोने में समय-समय पर आईएएस, आईपीएस या अन्य अधिकारियों के घर छापे पड़ते रहे हैं और उनके यहां करोड़ों रुपये भी बरामद होते हैं। इसे भ्रष्टाचार की अति न कहें तो क्या कहें। अपवाद छोड़ दें तो कुछ अच्छे लोग भी है, जिन्होंने इन पदों को सेवा का माध्यम समझा, परन्तु बाकी के सामने लक्ष्य विशुद्ध रूप से बेहिसाब कमाई ही रहा है। जैसे-जैसे बाजारवाद हावी होता गया, अनेक अफसर भ्रष्टाचार की गटर में डुबकी लगाते रहे हैं।
जब युवक-युवती आईएएस की परीक्षा पास करते हैं तो आदर्श की कितनी अनोखी बातें करते हैं। ऐसा लगता है कि यह लोग सिस्टम में आकर क्रांतिकारी परिवर्तन कर देंगे लेकिन उसके बाद होता क्या है। राजनीति और अफसरशाही का ऐसा गठजोड़ बनता है कि मत पूछिये। जनता इनके सामने हाथ जोड़े खड़े रहती है और ये लोग उसी जनता का खून चूसकर अपना घर भरते रहते हैं। रांची की एक आईएएस अफसर के घर सत्रह करोड़ मिले। सिर्फ इसी महिला आईएएस की बात नहीं है, ऐसे अनेक अधिकारी हैं जो अपने पद का गलत इस्तेमाल करके करोड़ों रुपये की काली कमाई कर रहे हैं।
कुछ वर्ष पहले मध्यप्रदेश के आईएएस जोशी दंपत्ति को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। पति-पत्नी दोनों आईएएस थे और इधर-उधर पोस्टिंग में रहते हुए अरबों रुपये की काली कमाई की और जब उनके भ्रष्टाचार की अति हो गयी, छापा पड़ा। अंततः दोनों सेवासे बर्खास्त कर दिये गये। इस बार आईएएस पूजा सिंघल पकड़ में आयी है। इस महिला आईएएस का सत्ता के कुछ लोगों से भी करीबी रिश्ता रहा। इसके पास आठ करोड़ की अचल संपत्ति भी मिली। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने सूचना के आधार पर दिल्ली, एनसीआर, बिहार, हरियाणा और पश्चिम बंगाल में छापे मारे और भ्रष्टाचारका पर्दाफाश कर दिया।
इस देश में लगातार छापे मारे जाते हैं और करोड़ों रुपये बरामद भी होते हैं। मीडिया के माध्यम से व्यापक चर्चा भी होती है। लेकिन अनेक मामलों में बाद में परिणाम क्या हुआ, वह सामने नहीं आ पाता। अद्भुत लीपापोती हो जाती है और मामले रफा-दफा हो जाते हैं। लेकिन यह अच्छी बात है कि इस समय केंद्र की एनडीए सरकार भ्रष्टाचार के मामले में पूरी तरहसे सावधान है। न केवल अफसरों के यहां छापे पड़े बल्कि कुछ बड़े नेताओं और व्यापारियों के यहां भी छापे मारे गये। इसमें दो राय नहीं कि जितने भी छापे पड़े, उसमें संबंधित व्यक्तियों के यहां से करोड़ों रुपये की बेनामी संपत्ति बरामद की गयी।
फिर चाहे वह पंजाब के पूर्व मुख्य मंत्री चन्नी के रिश्तेदार के यहां करोड़ों रुपये का मिलना रहा हो या फिर कानपुर के इत्र व्यवसाई के यहां से हैरत में डाल देने वाले अरबों रुपये होने का मामला। ये सारे लोग बिना सत्ता के गठजोड़ के इतनी कमाई कर ही नहीं सकते थे। सत्ता और अफसरशाही की जुगलबंदीके कारण ही इस देश में तेजी के साथ आर्थिक भ्रष्टाचार पनप रहा है और दुखकी बात यही है कि राजनीति में आने वाले तथाकथित बड़े नेता आदर्श की बातें तो खूब करते हैं, लेकिन वक्त आने पर वे भ्रष्टाचार की नदी में डुबकी लगाने से बाज नहीं आते। इसी का लाभ उठाकर ये अफसर और लूट के खेल को अंजाम देते रहते हैं।
नतीजा यह होता है छोटेसे छोटा अफसर भी करोड़ों रुपयेमें खेलने लगता है। जो बड़े अफसर हैं, उनकी तो बात ही मत पूछो। पता नहीं कब हमारा पूरा सिस्टम ईमानदारी के साथ काम करेगा। अब समय आ गया है कि आईएएस, आईपीएस अधिकारियोंको लेकर संविधान में बुनियादी संशोधन किया जाय और उन्हें बर्खास्त करने का अधिकार राज्य सरकार को सौंपा जाय। यदि ऐसा हो सका तो बहुत हद तक उनके भ्रष्टाचार के खेल को रोका जा सकेगा और उनके निरंकुश हो जाने की हरकत पर भी विराम लग सकेगा।