भागवत भगवान की है शब्द मई मूर्ति: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। श्रीमद्भागवतमहापुराण माहात्म्या श्रीमद्भागवत महापुराण भगवान् श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है। भागवत में और भगवान् में रंच मात्र भी अंतर नहीं है। भगवान् की शब्दमयी मूर्ति भागवत- महापुराण है। शब्दों से निर्मित मूर्ति है, भागवत भगवान की शब्द मई मूर्ति है। मूर्ति भगवान व्यास ने बनाया। किसी ने प्रतिष्ठा नहीं किया, भगवान स्वयं प्रतिष्ठित हो गये। तेनेयं वांग्मयी मूर्ति, कथा के रूप में भगवान हमारे आपके भीतर प्रवेश करते हैं। प्रविशत हृदि तेषां, द्वापर के अंत और कलयुग के प्रारंभ में अट्ठासीहजार महात्माओं ने दीर्घकालीन सत्र का आयोजन किया। क्योंकि जितनी देर हम सत्संग में होते हैं-पाप से, बुराइयों से, अनाचार से बचे रहते हैं। जगत के व्यवहार में असत्य भाषण, निंदा- स्तुति रूप पाप बनता रहता है। हम बचते हैं जितनी देर सो जाते हैं अथवा सत्संग में रहते हैं।

जगत व्यवहार के बिना चलेगा नहीं, जैसी हवा चल रही हो वैसा चलना पड़ता है। बुराइयों से बचने का उपाय क्या है। जितना अधिक से अधिक संभव हो सत्संग में रहें। बरसात हो रही है कलियुग के दोषों एवं पश्चिमी सभ्यता के दोषों की। सत्संग रूपी छाता लगाकर रखेंगे तो दोषों से बच पायेंगे। जितना समय हमारा सत्संग में बीतता है उतना सार्थक और कल्याणप्रद है। धन्य घड़ी सोई जब सत्संगा। धन्य जन्म द्विज भगति अभंगा।। जितनी देर हम सत्संग करते हैं उतनी देर का समय धन्य हो गया। परम पूज्य संत श्री घनश्याम दास जी महाराज ने बताया कि- कल की कथा में प्रथमस्कंध, द्वितीयस्कंध, तृतीयस्कंध समेत विदुरचरित्र पर्यंत कथा होगी। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग,
गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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