बलिया। श्री जीयर स्वामी जी महाराज ने बलिया में प्रवचन करते हुए कहा कि भगवान के भक्तों का अपमान नहीं करना चाहिए। इससे समस्त कुल का नाश हो जाता है, क्योंकि भगवान अपना अपमान सह लेते हैं, लेकिन भक्तों का अपमान सहन नहीं करते हैं।
वैसे तो किसी का भी अपमान नहीं करना चाहिए। मानव योनि दुर्लभ है, इसमें बड़े सोच समझकर कोई भी कार्य करना चाहिए। भले ही अच्छा कार्य ना हो पाए, लेकिन बुरा कार्य नहीं करना चाहिए। किसी का भला नहीं कर पाए, तो बुरा भी नहीं करना चाहिए।
जहां तक हो सके सबसे आदर पूर्वक बात करनी चाहिए। संत महात्मा तथा द्वार पर आए हुए अतिथि का भरपूर सम्मान करना चाहिए। भगवान के भक्तों का अपमान करना यह भगवतापचार है। दूसरा भागवतापचार इसमें भगवान के साथ अपमान है। यह भी पाप है।
हम मूर्ति की नही मूर्ति में पूजा करते हैं। तीसरा है अतितकरण अपचार इसमे जो शास्त्र में निषेध किया गया काम, जो करता है यह भी पाप है। क्या करें क्या न करे पूस्तक सभी को पढ़ना चाहिए। चौथा है कृतकर्म अपराध। जो शास्त्र में बताने के बाद भी हम नही करते हैं।
जैसे शास्त्र में बताया गया है कि स्नान करके ही खाना बनाना चाहिए, यदि ऐसा नही करते हैं, तो यह भी पाप है। जहां भोजन बनता है, वह भी देवालय है। पांचवां है असह्य अपराध जो शास्त्र में धर्म बताया गया वह नही करते हैं, जैसे नया नया पंथ संप्रदाय निकालना भी पाप है।