मास्को। यूक्रेन पर हमले से पूर्व रूस के राष्ट्रपति पुतिन को इस बात का गुमान भी नहीं रहा होगा कि यूक्रेन से उसे इतनी जबरदस्त टक्कर मिलेगी। हमले के बाद यह माना जा रहा था कि रूस आसानी से कुछ ही दिनों में पूरे यूक्रेन पर कब्जा कर लेगा लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं।
दोनों देशों के बीच जारी युद्ध के करीब चार माह बीतने के बाद भी न तो युद्ध निर्णायक दौर में पहुंचा है और न ही थमने का नाम ले रहा है।कारण स्पष्ट है कि न तो रूस पीछे हटने को तैयार है और न ही यूक्रेन ने हार मानी है। ऐसी स्थिति में नाटो के महासचिव जेंस स्टोल्टेनबर्ग का यह कहना काफी मायने रखता है कि दोनों देशों के बीच युद्ध सालों तक जारी रह सकता है।
नाटो प्रमुख की आशंका में काफी दम है, क्योंकि यूक्रेन की मदद पश्चिमी और यूरोपीय देश कर रहे हैं और रूस कापीछे हटना उसकी प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है।इस युद्ध में रूस को अब तक बड़ा खर्च करना पड़ा है लेकिन वहकिसी भी कीमत पर अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना चाहता है जबकि अमेरिका और यूरोपीय देशों से मिल रहे अत्याधुनिक हथियारों से यूक्रेनी सैनिकों के हमलों में धार आयी है जो रूस के लिए परेशानी के सबब बने हुए हैं।
वैसे परिणाम चाहे जो भी हो युद्ध की मौजूदा स्थिति वैश्विक स्तर पर चिन्ताजनक है। युद्ध का लम्बे समय तक खिंचना किसी के भी हित में नहीं है। युद्ध जितना ही लम्बा खिंचेगा, उसके बाद की स्थिति उतनी ही त्रासदी पूर्ण होगी।इस पर युद्धरत दोनों देशों को ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व समुदाय को विचार करने की जरूरत है जिससे समस्या का रचनात्मक तरीके से समाधान निकल सके। इसमें भारत की भी भागीदारी होनी चाहिए। हालांकि भारत किसी देश केआन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता लेकिन शान्तिवार्ता में अहम भूमिका निभा सकता है। युद्ध का शीघ्र समाप्त होना विश्व के सभी देशों के हित में है।