पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि दत्तात्रेय भगवान् ने श्री यदु जी महाराज से बताया की सबसे पहला गुरु मैंने पृथ्वी को बनाया। श्री यदु जी महाराज ने कहा- महाराज आपने पृथ्वी से क्या सीखा? दत्तात्रेय भगवान कहते हैं पृथ्वी का गुण है क्षमा। हम लोग पृथ्वी पर गड्ढा बनाते हैं, कूड़ा करकट डालते हैं, लेकिन धरती माता हमें क्षमा करती। सन्यासी में अथवा महान व्यक्तित्व रखने वाले लोगों में क्षमा गुण की प्रधानता होनी चाहिए। शास्त्रों में अपराधी के लिये दंड का विधान है जो जैसा अपराध करता है उसके अनुरूप शासक के द्वारा उसे दंड मिलना आवश्यक है, नहीं तो अपराध को बढ़ावा मिलेगा। अज्ञान के कारण होने वाली गलती के लिए क्षमा का भी विधान है। लेकिन जानबूझ करके की गई गलती अपराध की श्रेणी में आ जाती है। व्यक्ति को सदैव कर्मों के प्रति पूर्ण सावधानी रखना चाहिए क्योंकि प्रत्येक कर्म लोक और परलोक में फल देने वाला है। अच्छा कर्म लोक में भी कल्याणकारी है और परलोक में भी कल्याणकारी है। अतः कर्म शुद्धि और हरि भजन के प्रति बहुत सावधान रहना चाहिए। सत्कर्म करते हुए परमात्मा का स्मरण करना चाहिए। श्री दत्तात्रेय भगवान ने बताया कि- हमने दूसरा गुरु वायु को बनाया। श्री यदु जी महाराज ने पूछा कि आपने वायु से क्या सीखा? श्री दत्तात्रेय भगवान् कहते हैं कि वायु का हमें अनुभव होता है लेकिन वायु दिखाई नहीं पड़ती। ऐसे ही परमात्मा अनुभव के विषय हैं। “अनुभव गम्य भजहिं जेहि संता।” परमात्मा का प्रत्यक्ष दर्शन तो बड़े भाग्यशाली लोगों को होता है लेकिन ईश्वर का अनुभव हर कोई कर सकता है। एक बहुत सुंदर मकान बना हुआ है किसी ने कहा इस शहर का सबसे अच्छा मकान यह है। आपने पूछा इसे किसने बनाया? बताने वाले ने कहा किसी ने नहीं बनाया, अपने आप बन गया। आप कहेंगे नहीं हो सकता। एक झोपड़ी भी बनी है तो कोई बनाने वाला जरूर है। इतना सुंदर मकान है तो कोई बनाने वाला अवश्य होगा। फिर विचार करें इतना सुंदर संसार सूर्य चंद्र तारे सब अपने आप बन गया, ऐसा नहीं हो सकता, जो बनाने वाला है वही परमात्मा है। कोई गाड़ी रास्ते पर बहुत सुंदर ढंग से चल रही है, आपने बड़ी प्रशंसा किया और आपने किसी से पूछा इसे कौन चला रहा है? उसने कहा कोई नहीं, अपने आप चल रही है। आप कहेंगे ऐसा नहीं हो सकता, अगर अपने आप चल रही होती तो कब की गड्ढे में गिर कर नष्ट हो जाती है। यह संसार अनादिकाल से चल रहा है इसे जो चलाने वाला है वही परमात्मा है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना।
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