नई दिल्ली। देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विधवाओं का जीवन बेहतर बनाने के लिए जो सुझाव दिया है, उस पर अमल किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा है कि विधवाओं को भी पुनर्विवाह का मौका मिलना चाहिए । निराश्रित माताओं के पुनर्विवाह, स्वावलम्बन, पारिवारिक सम्पत्ति में हिस्सेदारी, सामाजिक, नैतिक अधिकारों की रक्षा के उपाय किए जाय जिससे ऐसी महिलाओं में स्वाभिमान और सम्मान का अहसास हो।
इसके लिए तिरस्कृत और उपेक्षित महिलाओं के प्रति जागरूकता बढ़ानी होगी। सामाजिक संस्थाओं को चाहिए कि वह आगे आकर तिरस्कृत और निराश्रित महिलाओं के जीवन में खुशी लाने के लिए उनको उत्प्रेरित करें और विधवाओं के पुनर्विवाह को प्रोत्साहन दें, क्योंकि विधवा का जीवन बहुत कष्टकर होता है।
विधवा आश्रम जैसे जगहों पर उनके बेहतर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। हालांकि समाज में बदलाव आया है। शिक्षा के प्रसार से समाज के तमाम रूढ़िवादी बंधन में जहां शिथिलता आई है वहीं लोगों की सोच और जीवनशैली में भी काफी बदलाव आया है। उसी सोच का परिणाम है कि बाल विवाह, सती प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों से मुक्ति मिली है।
पहले महिलाएं पति के निधन के बाद चिता में जलकर सती हो जाती थीं लेकिन बदलते समय में उन्हें अपना जीवन अपनी तरह जीने का अधिकार मिला है। विधवा औरतें भी अपना जीवन बेहतर बनाने के लिए पुनर्विवाह कर रही है। इसके लिए सामाजिक जागरूकता जरूरी है, क्योंकि विधवा जीवन अभिशप्त होता है उसको बदलने की जरूरत है।