नई दिल्ली। सरकार के पास इस बात का सही आंकड़ा नहीं है कि स्विस बैंकों में भारत के लोगों और भारतीय कम्पनियों का जमा धन कितना है इसके बारे में केवल अनुमान ही लगाया जाता है। इसकी वास्तविकता का पता लगाना अभी तक दुष्कर बना हुआ है। केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में स्वीकार किया है कि ऐसे जमा धन का कोई सरकारी अनुमान नहीं है।
कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि स्विस बैंकों में जमा भारतीयों के धन में वर्ष 2020 की तुलनामें वर्ष 2021 में वृद्धि हुई है। उन्होंने यह भी कहा है कि इस विषय पर स्विस अधिकारियों ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि स्विस नेशनल बैंक की ओर से प्रकाशित आंकड़ों भारतीय मीडिया स्विस वित्तीय संस्थानों में भारतीय निवासियों की परिसम्पत्तियों की राशि का विश्वसनीय सूचकों के रूप में नियमित रूप से उल्लेख करता रहता है।
मीडिया रिपोर्ट में इस बात पर ध्यान नहीं दिया गया है कि इन आंकड़ों की किस प्रकार से व्याख्या की जाय जिसके कारण गुमराह करने वाले विश्लेषण सामने आए हैं। वित्तमंत्री का यह भी कहना है कि 2021 में स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा राशि में 8.3 प्रतिशत की कमी आई है। सरकार विदेशों में छिपाई गई राशि का पता लगाने और उन पर कर निर्धारित करने के लिए सतत सक्रिय है।
सरकार ने इसके लिए एक बहुएजेंसी दल का भी गठन किया है, जिसमें प्रवर्तन एजेंसियों और संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हैं। वस्तुतः जिस प्रकार विदेशों में काला धन जमा करने की प्रवृत्ति बढ़ी है उसे देखते हुए इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है इसमें जितनी तत्परता और सक्रियता की जरूरत है, वह काफी कम है।
आम धारणा यही है कि विदेशों में बैंकों में जमा धन काला धन है लेकिन इसका वास्तविक आंकड़ा सामने नहीं आना गंभीर चिन्ता की बात है। इससे काला धन जमा करने वालों का मनोबल बढ़ता है। इसलिए भारत सरकार को विदेशी बैंकों में जमा भारतीयों के धन को उजागर करने के लिए मजबूत और प्रभावी रणनीति बनानी होगी।