हेल्थ। नेफ्रोटिक सिंड्रोम किडनी से जुड़ी एक समस्या है। ये कोई बीमारी नहीं बल्कि कई लक्षणों का समूह है जो किडनी के सही ढंग से काम न कर पाने की वजह से होता है। ये सिंड्रोम किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन बच्चों में ये समस्या अधिक देखने को मिलती है। किडनी शरीर से यूरिन के साथ जब प्रोटीन अधिक मात्रा में निकालने लगती है तो नेफ्रोटिक सिंड्रोम होने की आशंका अधिक बढ़ जाती है।
किडनी शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को निकालकर डिटॉक्स करने का काम करती है। जब किन्हीं कारणों से किडनी सही ढंग से काम नहीं कर पाती है तब किडनी में जलन और सूजन की समस्या हो सकती है। डायबिटीज के कारण भी इस सिंड्रोम के बढ़ जाने का खतरा होता है। चलिए जानते हैं क्या है नेफ्रोटिक सिंड्रोम-
क्या है नेफ्रोटिक सिंड्रोम:-
नेफ्रोटिक सिंड्रोम एक सामान्य समस्या है जो 2 से 6 वर्ष तक के बच्चों में ज्यादा देखी जाती है। किडनी शरीर को डिटॉक्स करने के लिए शरीर के विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करती है, लेकिन जब किडनी में मौजूद छन्नी के छेद बड़े हो जाते हैं तब किडनी यूरिन के साथ प्रोटीन को भी बाहर निकालने लगती है। प्रोटीन की कमी के कारण नेफ्रोटिक सिंड्रोम बढ़ने लगता है। प्रोटीन की कमी के कारण पेट में सूजन व दर्द, आंखों की समस्या और कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है। नेफ्रोटिक सिंड्रोम किडनी के साथ आंखों और स्किन पर भी प्रभाव डालने लगता है।
नेफ्रोटिक सिंड्रोम के लक्षण:-
– कमजोरी
– थकान
– भूख न लगना
– अचानक वजन बढ़ना
– स्किन पर घाव व चकत्ते पड़ना
– यूरिन में झाग आना
– लाल या डार्क पीली यूरिन होना
– स्किन में ड्राइनेस
– कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना
नेफ्रोटिक सिंड्रोम से परेशानी:-
– ब्लड क्लॉट
– हाई ब्लड प्रेशर
– हाई कोलेस्ट्रॉल
– किडनी फेलियर
– किडनी डैमेज
– निमोनिया
– मेनिनजाइटिस