रोचक जानकारी। किसी भी देश के विकास के लिए साक्षरता बहुत जरूरी है। देश के जितने ज्यादा नागरिक साक्षर होंगे, देश उतनी ही उन्नति कर सकता है। साक्षरता के महत्व के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है। 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है।
साक्षरता दिवस समाज में शिक्षा के प्रचार प्रसार के उद्देश्य से दुनिया भर में मनाया जाता है। भारत में भी विश्व साक्षरता दिवस को महत्वपूर्ण दिन के तौर पर मनाते हैं। सर्व शिक्षा अभियान के जरिए साक्षरता की दिशा में भारत सराहनीय कार्य कर रहा है। चलिए जानते हैं कि विश्व साक्षरता दिवस को मनाने की शुरुआत कब और क्यों हुई?
विश्व साक्षरता दिवसः कब और क्यों शुरु हुआ?
दो विश्व युद्ध से जूझने के पश्चात दुनिया भर में विज्ञान, साक्षरता, पढ़ाई और संस्कृति पर काम करने वाली संस्था यूनेस्को 1945 में बनी। सभी देशों ने बैठकर सोचा कि बिना युद्ध किये आम मानव का विकास कैसे किया जा सकता है। इसका एक ही हल था, ज्यादा से ज्यादा लोगों को शिक्षित करना। अंतत यूनेस्को ने साल 1965 में 07 नवंबर को आधिकारिक तौर पर घोषणा करते हुए 08 सितंबर को साक्षारता दिवस मनाने का फैसला किया।
इसके पश्चात पहली बार 8 सितंबर 1966 को संपूर्ण विश्व में साक्षरता दिवस मनाया गया। अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाने के पीछे एक उद्देश्य यह भी था, कि मानव विकास एवं अधिकारों को समझने और साक्षरता की ओर मानव चेतना को बढ़ावा मिले। सफल जीवन के लिए जैसे खाना जरूरी है, उसी तरह साक्षरता भी बहुत जरूरी है। क्योंकि शिक्षित व्यक्ति में ही वह क्षमता होती है, जो परिवार और देश की प्रतिष्ठा को आगे बढ़ा सके।
विश्व साक्षरता दिवस और भारत:-
साक्षरता किसी भी देश की आर्थिक एवं सामाजिक विकास का आधार होती है। साक्षर और शिक्षित समाज ही लोकतांत्रिक तरीके से सामाजिक एवं आर्थिक विकास के बारे में प्रभावी तरीके से सोच सकता है। समाज जितना ज्यादा साक्षर होगा, देश का विकास उतनी ही तीव्रता से होगा। लेकिन विकसित देश की होड़ में अग्रसर भारत की साक्षरता दर संतोषजनक नहीं है।
यद्यपि गत सात दशकों में भारत की साक्षरता दर चार गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। आजाद भारत के समय इसकी साक्षरता दर 18 फीसदी थी, आज यह 80 फीसदी तक पहुंची है। अगर विश्व के आइने से देखें तो विश्व की औसत साक्षरता दर 86 फीसदी है। केंद्र सरकार का लक्ष्य अगले 7 सालों में देश को पूर्ण साक्षर करवाना है।
साल 2011 में भारत की कुल साक्षरता दर 74.4% है, जिसमें पुरुष की साक्षरता 82.37 % और महिलाओं का साक्षरता आंकड़ा 65.79 % है। दोनों की साक्षरता के आंकड़े में काफी अंतर है। देश में सबसे अधिक साक्षरता वाला राज्य केरल है और सबसे कम साक्षरता वाला राज्य बिहार है। उत्तर प्रदेश पांच सबसे कम साक्षरता वाले राज्यों में शामिल हैं।
आज भी देश में स्त्री-पुरुष के बीच साक्षरता दर में 16 फीसदी का अंतर है। इसे खत्म करने के लिए केंद्र सरकार लड़कियों की शिक्षा पर ज्यादा जोर दे रही है। ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ जैसी योजना के अलावा देश के लगभग सभी स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था की गयी है, ताकि अधिक से अधिक संख्या में लड़कियां स्कूल जा सकें।
इसका उत्साहजनक असर पड़ा है। आज गांव में भी भारी संख्या में लड़कियां स्कूल जा रही हैं। इसके अलावा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक और अन्य पिछड़े वर्ग जो देश की जनसंख्या का बड़ा हिस्सा हैं, में भी साक्षरता दर काफी कम है। ऐसे में इन सभी को साक्षर बनाने पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
साक्षरता दिवस 2022 की थीम:-
हर साल साक्षरता दिवस की एक निर्धारित थीम होती है। साल 2021 की थीम “मानव-केंद्रित पुनर्प्राप्ति के लिए साक्षरता: डिजिटल विभाजन को कम करना” विषय पर थी। इस साल साक्षरता दिवस 2022 की थीम ‘ट्रांसफॉर्मिंग लिटरेसी लर्निंग स्पेस’ (Transforming Literacy Learning Spaces) है।