लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अवैध रूप से बने होटल लेवाना में लगी आग से चार लोगों की मौत एक बहुत ही दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। यह घटना सरकारी व्यवस्था पर गम्भीर सवाल खड़ा करती ही है साथ ही सरकारी विभागों के भ्रष्टाचार को भी उजागर करती है।
हालांकि घटना के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गम्भीर रुख अपनाते हुए जांच समिति गठित कर होटल को ध्वस्त करने और सभी होटलों, अस्पतालों, माल और स्कूलों की जांच का आदेश दिया है, लेकिन क्या उससे भ्रष्टाचार के दीमक को समाप्त किया जा सकेगा। राजधानी लखनऊ का जब यह हाल है तो अन्य शहरों में कितनी इमारतें अवैध रूप से बनी होंगी, इसका अन्दाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
नियम- कायदों की अनदेखी कर संचालित किए जा रहे होटलों के खिलाफ सख्त काररवाई जहां जरूरी हो गई है वहीं सरकारी विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार के दीमक को समाप्त करनेके लिए कठोर कदम उठाने की जरूरत है। राजधानी लखनऊ के किसी होटल में आग लगने की यह कोई पहली घटना नहीं है।
इससे पहले भी होटलों में आग लगने से आधा दर्जन से अधिक लोग कालकवलित हो चुके हैं फिर भी सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जाती है, जिसके गम्भीर परिणाम सामने आते हैं। होटल के मालिक और महाप्रबन्धक को गिरफ्तार कर उचित किया गया है लेकिन उनको संरक्षण देने वाले विभिन्न विभागों के सम्बन्धित अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए, क्योंकि बिना विभागों की संलिप्तता के इतनी बड़ी इमारत नहीं बन सकती है। सरकार को इसके लिए अपना मजबूत निगरानी तंत्र बनाना होगा जिससे भ्रष्टाचारियों की नकेल कसी जा सके। यह प्रदेश के विकास के लिए भी आवश्यक है कि प्रदेश भ्रष्टाचार से मुक्त हो।