पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि संत का संग आपको मिलेगा,तो ईश्वर की ओर आपकी प्रवृत्ति अवश्य होगी। लोहे को पारस मिल जाये तो पारस लोहे को सोना बना देगा। चंदन वृक्ष के बगल में नीम का पेड़ लगा दिया जाये, कुछ समय के बाद उसमें भी सुगंध आ जाती है। बिन सत्संग विवेक न होई। राम कृपा बिनु सुलभ न सोई। जब तक आप सत्संग नहीं करेंगे, विवेक की जागृति नहीं होगी और विवेक की जागृति के बिना ईश्वर की प्राप्ति नहीं, इसीलिए-अस विचार जोई कर सतसंगा। राम भगति तेहिं सुलभ विहंगा। जो व्यक्ति सत्संग करते रहते हैं, उन्हें एक दिन ईश्वर की प्राप्ति निश्चित होती है। खराब व्यक्ति का संग नहीं करना, जो व्यक्ति खराब लोगों का संग करता है, वह नीचे गिर जाता है। कैकई ने मंथरा का आश्रय लिया, इसीलिए इतने ऊंचे स्तर पर रहने वाली कैकेई एकदम नीचे आकर पहुंच गयी। दुष्ट का संग हमेशा दुःख देगा। जिस व्यक्ति के विचार शुद्ध न हो, जिसका आचार शुद्ध न हो, ऐसे व्यक्ति से मित्रता जोड़कर आप नीचे गिर जायेंगे। जिनके विचार ऊंचे हों उनका संग उन्नति कराने वाला होता है।जब तक ईश्वर की कृपा नहीं होगी आपको संत नहीं मिलेंगे और हरि कृपा से यदि संत मिल जाते हैं, आपका पतन नहीं होगा। आप गिरेंगे नहीं। ऊपर उठ जायेंगे। इसलिए संतो का संग कीजिये। गोस्वामी श्री तुलसी दास जी महाराज कहते हैं- संसार गुण और दोषों के मिश्रण से बनता है।
जैसे दूध और पानी को मिला दिया जाये, लेकिन हंस दूध ले लेता है और पानी छोड़ देता है। इसी तरह आप संसार में अच्छे गुणों को ग्रहण कीजिए और दोषों को निकाल दीजिए। लेकिन तभी निकलेंगे जब ईश्वर की कृपा आपके ऊपर हो जायेगी। ध्यान दें! व्यक्ति की पूजा वेष से नहीं हुआ करती है, व्यक्ति की पूजा गुणों से हुआ करती है। श्री हनुमान जी और श्री जामवंत जी वानर और भालू हैं लेकिन आज श्री हनुमान जी की पूजा भगवान् श्रीराम से भी ज्यादा हो रही है और रावण सन्यासी बन कर श्री सीता जी का हरण किया, उसका यह कार्य निंदनीय था, तो श्री राम के बाण का निशाना बन गया। सन्यासी बनने वाले रावण को राम स्वयं मारते हैं और बंदर- भालू बनने वाले हनुमान जाम्बवन्त की आज भी पूजा हो रही है। व्यक्ति वेष से पूजित नहीं होता है, गुणों के द्वारा पूजित होता है। इसलिए अपने जीवन में ऊपर उठिये।अच्छे गुणों को अपने जीवन में उतारिये।धर्म शास्त्रों में लिखा है कि- ” जैसा करे संग वैसा चढ़े रंग।” यह चार-पांच बातें हमेशा ध्यान रखना चाहिये। “जैसा करे संग वैसा चढ़े रंग। “जैसा खाये अन्न वैसा बने मन। “जैसा पिये पानी, वैसी बने बानी” “जैसी राखे शुद्धि वैसी बने बुद्धि। “जैसा करे विचार वैसा दिखे संसार।” सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।