जानें टीनएजर्स में क्‍यों होती है स्‍ट्रोक की समस्‍या…

हेल्‍थ। जब ब्रेन में ब्लड सप्लाई की कमी होती है तब स्ट्रोक की समस्या होती है। आमतौर पर यह समस्या एडल्ट जिनकी उम्र 60 साल से अधिक है, उनमें देखने को मिलती है। लेकिन अब कुछ समय से यह समस्या किसी भी एज में हो रही है। स्ट्रोक की समस्या किशोरावस्था में आम नहीं है, लेकिन फिर भी संभावना है। खराब स्वास्थ के कारण टीनेजर्स में स्ट्रोक की समस्या देखने को मिलती है। स्ट्रोक के बाद किशोर को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

स्ट्रोक के तीन प्रकार हैं- सिर में तेज दर्द, वजन में कमी, कमजोरी महसूस होना, अटपटी बातें करना, चलने फिरने में परेशानी महसूस होना, शरीर का सुन पड़ना आदि इसके लक्षण हो सकते हैं। आइए जानते हैं स्ट्रोक की समस्या के कारण और उपचार-

स्ट्रोक मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है-

इस्केमिक स्ट्रोक, रक्तस्रावी स्ट्रोक, क्षणिक इस्केमिक हमले।

इस्केमिक स्ट्रोक:-

जवानी में यह स्ट्रोक सबसे आम देखने को मिलता है। इस तरह के स्ट्रोक में  दिमाग में ब्लड की पूर्ति करने वाली आर्टरी रुक जाती है। ऐसा ब्लड क्लोट जमने के कारण होता है।

ब्लड स्रावी स्ट्रोक:-

यह तब होता है जब दिमाग की एक वेसल टूट या फट जाती है। ब्लड हमारे दिमाग में फैलने लगता है। जिससे हमारे दिमाग की सेल्स पर प्रभाव पड़ता है।

क्षणिक इस्केमिक:-

इस तरह के स्ट्रोक को मिनी स्ट्रोक भी कहते हैं। यह तब होता है जब दिमाग में ब्लड का प्रवाह थोड़े समय के लिए रुक जाता है।

टीनेजर्स में स्ट्रोक के लक्षण:-

जवानी के समय स्ट्रोक होना आसान बात नहीं है। इसलिए इनके लक्षण दिखाई देने पर जो वो अनुभव कर रहे हैं उनको नजर अंदाज करने की बजाए उनके बारे में डॉक्टर को बताएं।

कोई भी लक्षण हैं तो तुरंत डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं चलने में परेशानी होना, सिर में तेज दर्द होना या सुन्न होना, कमजोरी महसूस होना, दिखने में परेशानी होना इसके लक्षण हैं।

कारण:-
सिकल सेल एनीमिया यह हमें अपने पूर्वजों से मिली एक बीमारी होती है, जिससे सिकलिंग नामक प्रक्रिया से ब्लड क्लाट बनता है।

1.हार्ट रोग:-

हाई ब्लड प्रेशर के कारण हमारे दिल की धड़कन तेज हो जाती है।  दिल की धड़कन बढ़ने पर दिल के काम करने की समस्या या फिर हार्ट अटैक हो सकता है। ये सभी स्ट्रोक के कारण होता है।

2.हीमोफिलिया:-
यह हमें अपने पूर्वजों से मिली बीमारी है। जिसमें ब्लड क्लॉट जमने में परेशानी होती है। जिससे ब्लड स्रावी स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

उपचार-
एक टीनेजर्स का उपचार स्ट्रोक की स्थिति पर निर्भर है।

1.ब्लड थिनर:-
यह ब्लड क्लॉट को बड़ा होने से रोकने में मदद करता है। इसको एंटीकोआगुलंट्स भी कहा जाता है।

2.थ्रोम्बोलाइटिक:-

यह दवा ब्लड के थक्के को रोकने के लिए नसों के माध्यम से दी जाती है।

3.जब्ती-रोधी दवा:-

यह दवा सर्जरी में, ब्लड का थक्का हटाने और दिमाग में ब्लड के प्रवाह को रोकने में सहायक है।

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