मोह की बेड़ियों को काटना है बहुत मुश्किल: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि दशम स्कंध में भगवान् के अवतार की व्याख्या श्री शुकदेव जी महाराज करते हैं। अब हम-आप अर्थात् श्रोता और वक्ता अपने हृदय को, अपने मन को, ही मथुरा मान लो। कलियुग ही कंस है, शरीर जेल है, मन मथुरा है, इसमें चित्त है वासुदेव और बुद्धि है देवकी। मोह हथकड़ियां और बेड़ियां हैं। लोहे की बेड़ियां कभी कट सकती हैं, लेकिन मोह की बेड़ियों को काटना बहुत मुश्किल है। हम भी यह भावना पैदा करें कि प्रभु वसुदेव और देवकी की तरह हम भी बंधे पड़े हैं। हम भी शरीर रूपी जेल में जकड़े पड़े हैं, हम भी चारों तरफ से शत्रुओं से घिरे पड़े हैं, दीनानाथ! हम साधन विहीन हैं, हम कुछ कर नहीं पा रहे हैं, अनादिकाल से भटक रहे हैं। हे दयासिंधु! जैसे अम्बा देवकी के सामने चतुर्भुज रूप में, नारायण रूप में प्रकट हो करके, आपने उनके बंधन खोलें, उनके शत्रुओं को नष्ट किया और उनके जीवन में जो आनंद आपने प्रदान किया, हे मेरे ठाकुर, वही ज्योति एक बार मेरे चित्त में जगा दो, ताकि हमारे चित्त और बुद्धि में जो मोह और आसक्ति की बेड़ियां हैं, वह कट जायें। काम, क्रोध, लोभ और अहंकार आदि जो शत्रु हैं, वह मर जायें और देह का जो बंधन है, वह ढीला हो जाये और हम सदा के लिये आपके चरणों में ही निवास करें- ऐसी भावना बनाकर प्रभु का पावन अवतार सुनना और गाना चाहिये। जब बार-बार ऐसी भावना बनाकर कथा सुनेंगे-गाएंगे तो विश्वास करो कि किसी-न-किसी समय आपको  उनका प्रकाश मिलेगा। जब भगवान् आनंद कंद श्री कृष्ण चंद्र प्रगट हुये, तब श्री शुकदेव जी कहते हैं,  उस समय ठाकुर जी का दर्शन अत्यंत भव्य था। निराकार ब्रह्म साकार होकर प्रगट दिखता है। जिसका आकार न दिखे वो निराकार है, जिसका आकार देख सके वह साकार है। जैसे अग्नि जब तक लकड़ी में छुपी है तब तक निराकार है और जब काष्ठ जलने लगा तब अग्नि साकार हो गई। उसी तरह जब परमात्मा व्यापक रूप से सबमें समाया रहता है, तब तक वो निराकार है और जब भक्तों को कृतार्थ करने के लिये, उनके व्याकुल व्यथित मन पर अपने दर्शन से शीतल अमृतधारा बरसाने के लिये जब वो समधुर रूप में प्रकट हो जाते हैं, तब वे साकार हैं। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना।

श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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