विद्या का फल है विवेक की प्राप्ति: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि इस कराल-कलिकाल में पयहारी श्रीकृष्णदासजी वैराग्य की सीमा हुए। आपने अन्न को त्यागकर केवल दुग्धपान करके भजन किया। इसीलिए आप पयहारी इस नाम से विशेष प्रसिद्ध हुए। आपने जिसके सिर पर अपना हाथ रखा- अर्थात् शिष्य करके अपनाया, उसके हाथ के नीचे अपना हाथ कभी नहीं फैलाया- अर्थात् उससे याचना नहीं की। वरन उसे भगवत्पद मोक्ष का अधिकारी बना दिया और सांसारिक मोह से सदा के लिए छुड़ाकर अभय कर दिया। श्रीपयहारीजी भक्तिमय तेज के समूह थे और आप में अपार भजन का बल था। बाल-ब्रह्मचारी योगी होने के कारण आप ऊर्द्धरेता हो गये थे। भारतवर्ष के छोटे बड़े जितने राजा-महाराजा थे, वे सभी आपके चरणों की सेवा करते थे। दधीचिवंशी ब्राह्मणों के वंश में उदय (उत्पन्न) होकर आपने भक्ति-प्रताप से भक्तों के हृदय कमलों को सुख दिया, श्रीटीलाजी श्री साकेत निवासाचार्यजी- राजस्थान में किशनगढ़ राज्यांतर्गत सलेमाबाद निवासी श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री हरिरामजी की धर्मपत्नी श्रीमती शीला देवी ने अतिथि, अभ्यागत, साधु संतों की सेवा के फलस्वरूप आबूराज निवासी एक सिद्ध संत के शुभ आशीर्वाद से विक्रम संवत 1515 जेष्ठ शुक्ल दशमी तिथि को एक पुत्र रत्न को जन्म दिया। उस समय अद्भुत बात तो यह हुई कि जन्म के कुछ ही क्षण बाद बालक बोलने लगा। यथा-समय बालक के सब शुभ संस्कार सानंद संपन्न हुए। बालक को ऊंचे टीलों पर बैठने का बड़ा शौक था, अतः उसे सब लोग टीला नाम से पुकारने लगे। यज्ञोपवीत-संस्कारोपरांत बालक ने विद्याध्ययन प्रारंभ किया। पूर्व के दिव्य संस्कारवश अत्यंत कुशाग्रबुद्धि होने के कारण बालक अत्यंत अल्प समय में ही सर्व धर्मशास्त्र निष्णात हो गया। विद्या का फल है विवेक की प्राप्ति। पिता-माता के पुण्यप्रताप एवं शास्त्रानुशीलन के प्रभाव से बालक को बाल्यावस्था से ही भगवान में प्रीति हो गई। विद्वद्वरिष्ठ पंडित श्री हरिराम जी भी अपने होनहार पुत्र को सुंदर-सुंदर पौराणिक कथाएं सुनाया करते थे। जिससे कि पुत्र को भगवन्निष्ठा का परम प्रोत्साहन मिले। आप पयहारी श्री कृष्ण दास जी के शिष्य थे। आपने अनंत जीवों को भगवान की भक्ति से जोड़ा। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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