नई दिल्ली। आज सोमवार को दिल्ली में रक्षा लेखा विभाग द्वारा आयोजित ‘कंट्रोलर्स कॉन्फ्रेंस 2022’ में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने इस दौरान कहा कि, जंग की तैयारी के लिए न केवल पर्याप्त वित्तीय संसाधन जरूरी हैं, बल्कि त्वरित व पारदर्शी फैसले भी आवश्यक हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि निर्णय लेने में देरी से समय के साथ-साथ धन की भी क्षति होती है। देश की युद्ध तैयारी पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
रक्षा मंत्रालय का लेखा विभाग त्वरित व पारदर्शी फैसलों में अहम भूमिका निभाता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि तेजी से पारदर्शी निर्णय लेना और सर्वोत्तम संसाधनों की उपलब्धता देश की युद्ध की तैयारी के लिए आवश्यक है। “हमारे जीवन में लेखा-जोखा की क्या अहमियत है, इस पर बहुत बात करने की आवश्यकता नहीं है। कोई व्यक्ति हो, अथवा परिवार, समाज हो या फिर संगठन, बिना लेखा-जोखा पर ध्यान दिए वह ज्यादा दिनों तक चल नहीं सकता है।”
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि, “आप लोग युवाल नोआ हरारी की किताब Sapiens के बारे में अवगत होंगे। इस किताब में वह वर्णन करते हैं, कि इतिहास में हमें जो पहला लिखित दस्तावेज प्राप्त होता है, वह एक एकाउंटिंग दस्तावेज होता है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि, “दुनिया में सभी संसाधन सीमित हैं। यही बात किसी राष्ट्र, और उसके रक्षा क्षेत्र पर भी लागू होती है। ऐसे में संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग की अत्यंत आवश्यकता होती है। जब मैं संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग की बात कर रहा हूँ, तो उससे मेरा तात्पर्य दो बातों से है।”
उन्होंने कहा कि, “रक्षा लेखा विभाग का एक प्रमुख कार्य रक्षा मंत्रालय के संगठनों को वित्तीय सलाह प्रदान करना है। इस वर्ष रक्षा बजट के लिए 5.25 लाख करोड़ allot किए गए हैं, जिनके उचित खर्च सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी रक्षा लेखा विभाग की है।”
उन्होंने कहा कि, “मुझे पूरा विश्वास है, कि विभाग, financial prudence के सिद्धांतों को अपनाते हुए, रक्षा सेवाओं को उनके वित्तीय संसाधनों के प्रबंधन में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहा है। सरकारी धन किसी भी मौके पर जरूरत से ज्यादा खर्च न हो, उसमें authority का अपना या किसी अन्य खास व्यक्ति का कोई हित न जुड़ा हो, यह सब financial prudence है।”