लखनऊ। नगर निकायों में संपत्तियों के मूल्यांकन, कर निर्धारण, वित्तीय संसाधन बढ़ाने और विकास की परियोजनाओं में परामर्श देने के लिए गठित ‘उप्र नगर पालिका वित्तीय संसाधन विकास बोर्ड’ के लिए कार्ययोजना तैयार की गई है। इसके तहत इस वित्तीय वर्ष में बोर्ड द्वारा 118 नगर निकायों की वित्तीय स्थिति की समीक्षा और राजस्व संग्रह के संसाधनों की क्षमता का निर्धारण होगा। इसके अलावा अन्य कार्यों का लक्ष्य भी तय किया गया है।
2011 में गठित बोर्ड की भूमिका अब तक सिर्फ कागजी रही है, जबकि इसमें चेयरमैन के अलावा आर्थिक सुधार आदि मामलों के कई विशेषज्ञ भी हैं। सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी इनकी वित्तीय स्थिति नहीं सुधरी। इसके मद्देनजर सीएम योगी आदित्यनाथ ने दो महीने पहले समीक्षाकर इसे प्रभावशाली बनाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद नगर विकास विभाग ने प्रत्येक वर्ष के लिए अलग-अलग कार्ययोजना बनाने का फैसला किया है। अब निकायों के स्वामित्व या प्रबंधन वाली संपत्तियों का ब्योरा ऑनलाइन किया जाएगा। इसी तरह कर एवं करेतर मदों, प्रभार एवं लाइसेंस शुल्क के पुनर्निर्धारण के संबंध में विचार-विमर्श, नवगठित निकायों में भूमि-भवनों का मूल्यांकन और कर निर्धारण का काम किया जाएगा।
वित्तीय क्षमता का होगा निर्धारण –
बोर्ड द्वारा इस वर्ष 118 नगर निकायों में से 43 में संपत्ति कर का निर्धारण किया जाएगा। इसके लिए ऐसी 6 नगर पालिका परिषद और 36 नगर पंचायतें चयनित की जाएंगी, जिनकी वित्तीय स्थिति काफी कमजोर है। इसी तरह 5 नगर निगमों, 20 नगर पालिका परिषदों और 50 नगर पंचायतों की वित्तीय स्थिति की समीक्षा और राजस्व संसाधनों की क्षमता का निर्धारण किया जाएगा।
बोर्ड विशेषज्ञों ने पिछले वर्ष पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, कर्नाटक, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात व महाराष्ट्र के निकायों की वित्तीय एवं कर प्रणाली का अध्ययन किया था। इसके आधार पर यूपी के निकायों की कार्ययोजना तैयार की जाएगी।