श्री बांके बिहारी मंदिर मामले में 23 जनवरी को होगी सुनवाई

मथुरा। वृंदावन स्थित ठाकुर श्री बांके बिहारी जी महाराज के मंदिर से संबंधित मामले पहले भी देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में पहुंचते रहे हैं। उच्च न्यायालय से लेकर स्थानीय अदालतों में 100 से अधिक बार मामले पहुंचे। हाल ही में उच्चतम न्यायालय में सेवायत गोस्वामियों ने मौलिक अधिकारों की सुरक्षार्थ विशेष अनुमति याचिका दाखिल की है। इस पर 23 जनवरी को सुनवाई होगी। ऐसे में सबकी निगाहें 23 की सुनवाई पर टिकीं हैं।

ठाकुर श्री बांके बिहारी मंदिर के सेवायत व इतिहासकार आचार्य प्रहलाद वल्लभ गोस्वामी ने बताया कि वर्ष 1785 में श्रीबांकेबिहारीजी महाराज की सेवा-पूजा व निधिवन के अधिकार से संबधित मामले में स्थानीय अदालत में पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। चर्चित मामलों में सर्वोच्च न्यायालय में देहली निवासी सीताराम गुप्ता ने वर्ष 2000 में दाखिल की गई एक जनहित याचिका (पीआईएल) के माध्यम से मंदिर में व्याप्त अव्यवस्थाओं में सुधार की मांग की थी। सीताराम गुप्ता बनाम मंदिर प्रबंध कमेटी नामक इस मुकदमे की पूरे देश में बेहद चर्चा हुईं थी लेकिन कोई विशेष कार्यवाही अथवा फैसला न होने पर उक्त मामला ठंडे बस्ते में पड़ गया था।

मालूम हो कि वर्ष 2015-16 में मंदिर में वर्ष भर आयोजित होने वाले महोत्सवों व गर्मियों में बनाये जाने वाले फूलबंगलों की शृंखला का आयोजन सुबह व शाम दोनों समय कराए जाने के मामले को लेकर  सेवायत सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। उच्चतम न्यायालय ने इस मुकदमे में सभी उत्सवों के साथ-साथ फूलबंगलों का आयोजन भी दोनों समय कराये जाने का आदेश पारित किया।

कॉरिडोर का मामला :-

मथुरा न्यायालय द्वारा पारित आदेशों से असहमति दर्शाते हुए कई बार सेवायतजन इलाहाबाद हाईकोर्ट की शरण में भी गए हैं। वर्तमान में ठाकुर श्रीबांकेबिहारीजी मंदिर हेतु कॉरिडोर निर्माण के देश-दुनिया में चर्चित हो रहे मामले में मंदिर सेवायतों ने विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) के माध्यम से देश की सबसे बड़ी अदालत में पहुंचे हैं। इस मामले में 23 जनवरी को सुनवाई होनी है।

 

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