पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवत महापुराण में लिखा है कि भगवान् के प्यारे भक्त के लक्षण क्या है ? यदि ब्रह्मा यह कह रहे हों कि हम तुम्हें त्रिलोक की सुख-संपत्ति दे देते हैं, आधे निमेष के लिये, पलक गिरने में जितना समय लगता है, उससे आधे समय के लिये, तुम अपने ठाकुर का चिंतन छोड़कर हमारी और देख लो। अगर वह भगवान् का सच्चा वैष्णव भक्त है तो तीन लोक की संपत्ति को ठुकरा देगा, लेकिन आधे निमेष के लिये भी ठाकुर का दर्शन, चिन्तन बंद नहीं करेगा। श्री शुकदेव जी कहते हैं, परीक्षित! नित्य दर्शन हो रहा है, हर समय समीप्ता है, लेकिन तृप्ति नहीं- रास पंचाध्यायी में भी वर्णन आता है कि गोपांगना भगवान् को देख रही है, पलक झपके बिना देख रही हैं, लेकिन देखने की इच्छा पूर्ण नहीं हो रही। गोपांगना की बात तो छोड़ो, भगवती श्री राधा रानी अनादिकाल से अभी तक श्यामसुंदर को देखती आ रही है, लेकिन अभी तक सही ढंग से तृप्ति नहीं हो पाई है। अभी तक नेत्रों की तृप्ति नहीं हो पाई। एक साथ रहने के बाद भी प्रभु का स्वरूप नित्य नया होता है, नित्य नवायमान रहता है, प्रतिक्षण नित्य नई आकृति ठाकुर जी की बनती है। एक तो 15-16 वर्ष से अधिक उनकी अवस्था नहीं दिखाई देती, काल का प्रभाव पड़ता नहीं। ये दो तीन बातें सदा ध्यान रहें कि- ठाकुरजी को कभी बुढ़ापा नहीं आता। भगवान् के बाल कभी सफेद नहीं होते, दाढ़ी मूंछ नहीं आती और शस्त्र लग जाये तो दवा लगाने की जरूरत नहीं पड़ती। देखने वाले को लगेगा कि शस्त्र लगा। भगवान् का शरीर पंच भौतिक होता ही नहीं, जब शरीर ही पंचभूत से निर्मित नहीं है, तो चोट कैसे लगेगी। चिदानन्दमय देह तुम्हारी। विगत विकार जान अधिकारी।। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना-श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी,ब ड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)