नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय इन विकल्पों में पैसे लगाने के लिए नियमों को और आसान बनाने की तैयारी में लगी है। जिसके तहत KYC नियमों को बदला जाएगा, जिससे ग्रामीण क्षेत्र के निवेशकों को भी इन योजनाओं तक पहुंचने में मदद मिल सके। पब्लिक प्रोविडेंट फंड, सुकन्या समृद्धि योजना, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट जैसी छोटी बचत योजनाओं में निवेश करने वालों के लिए यह बड़ी खबर है।
बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के अनुसार इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि वित्त मंत्रालय छोटी बचत योजनाओं के KYC नियमों में ढील देने की योजना बनायी जा रही है। जिसके तहत अब पैन कार्ड के अलावा आधार के जरिये निवेशकों को KYC करने की छूट दी जाएगी। इसका मकसद ग्रामीण क्षेत्र के छोटे निवेशकों तक भी इन योजनाओं का लाभ पहुंचाना है। सरकार के मानने के अनुसार देश में PAN की तुलना आधार ज्यादा संख्या में बनाए गए हैं। खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में। हालाकि अभी तक इन छोटी बचत योजनाओं में निवेश के लिए KYC पैन के जरिये होती थी। जिससे बदलकर अब आधार के जरिये कर दिया जाएगा।
जनधन खाते की तरह होगी KYC
आधार के जरिये KYC शुरू होने के बाद छोटी बचत योजनाओं में निवेश काफी आसान हो जाएगा। ज्यादातर गरीब और ग्रामीण इलाकों के लोगों को इससे काफी सहायता मिलेगी अधिकारी का कहना है कि इस बदलाव से सुकन्या, पीपीएफ जैसी बचत योजनाओं की KYC भी जनधन खाते जितनी आसान हो जाएगी। इसके सिवा सरकार की मंशा है कि इन खातों के कानूनी वारिस को लेकर विवादों को भी सुलझाया जा सके। यदि आधार के जरिये KYC होगी तो खाताधारक के साथ अनहोनी की स्थिति में उसके कानूनी वारिस की पहचान करना आसान होगा।
सरकार का बढ़ेगा फंड, घटेगा कर्ज
इस कदम से न केवल निवेशक बल्कि सरकार को भी बड़ा फायदा होगा। बाजार जानकारों का मानना है कि छोटी बचत योजनाओं का KYC प्रोसेस आसान होने से इसमें छोटे निवेशकों का पैसा आएगा, जिसका इस्तेमाल सरकार अपने राजकोषीय घाटे को कम करने में कर सकती है। जिससे बाजार उधारी पर उसकी निर्भरता भी घटेगी और ब्याज के रूप में ज्यादा पैसे भी नहीं चुकाने पड़ेंगे।
बढ़ा गये बचत योजनाओं का लक्ष्य
सरकार भी नेशनल सेविंग स्मॉल फंड की जरूरतों को अच्छे तरह से समझती है। यही वजह है कि 1 फरवरी को पेश बजट में सरकार ने अगले वित्तवर्ष के लिए NSSF का लक्ष्य बढ़ा दिया गया है। चालू वित्तवर्ष में NSSF के जरिये जहां 4.39 लाख करोड़ रुपये जुटाए गए, वहीं अगले वित्तवर्ष में 4.71 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया है।