काल का ही दूसरा नाम है विघ्न: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान गणेश तो विघ्नहर्ता हैं। लेकिन उनके जो गण हैं वो विघ्न कर्ता भी हैं। विघ्नों पर शासन करना ये सबके बस का नहीं है। आने वाले विघ्नों को रोक लेना ये सबके बस का नहीं है। विघ्न नाम है काल का, काल का ही दूसरा नाम विघ्न है। उस काल से आप युद्ध नहीं सकते, सफल नहीं हो सकते। इसीलिए भगवान् गणपति ने विघ्न को अपने अधिकार में रख लिया है, खबरदार आगे नहीं जाओ, ये मेरा भक्त है, मेरा पूजन कर रहा है। जो भगवान् गणेश का पूजन करते हैं, भगवान् गणेश के गण भी उसकी सहायता करना शुरू कर देते हैं। भक्ति पूर्वक भगवान् गणेश की पूजा कर लो। निशान बना दो, स्वास्तिक बना दो, स्वास्तिक भगवान गणेश का ही स्वरूप है। ओंकार भी गणेशजी ही हैं। ओंकार (ऊँ) की आकृति बिल्कुल गणेश जैसी है, ओंकार ही गणेश हैं, गणेश ही ओंकार हैं। जो स्वास्तिक बनाते हैं, श्रीगणेश भगवान का जो मोटा शरीर है, बीच का हिस्सा है, और चार हाथ हैं वह चार लाइनें हो गई। चारों हाथों में जो शस्त्र हैं वो चार उनके हाथ से आगे जो टेढ़ापन आ गया। गणेश भगवान् ही स्वास्तिक के रूप में विद्यमान हैं। श्री गणेश जी को चाहे ओंकार के रूप में मान लो, चाहे स्वास्तिक के रूप में मान लो, चाहे आकृति के रूप में मान लो, गणेश जी आपकी रक्षा करते रहेंगे। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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