Monkey Fever: इन दिनों कर्नाटक में मंकी फीवर के मामलें बढ़ते हुए नजर आ रहे है. बीते 15 दिनों में कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में इस संक्रामक रोग के मामले तेजी से बढ़े हैं. स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, 12 मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं वहीं 17 से अधिक मरीजों का इलाज घर पर ही किया जा रहा है. गनीमत ये है कि अभी तक सभी की हालत स्थिर है और कोई गंभीर मामला सामने नहीं आया है.
दरअसल, मंकी फीवर का पहला मामला 16 जनवरी को सामने आया था. मंकीफीवर को क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज (KFD) के नाम से भी जाना जाता है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो जानवरों से इंसानों में इस रोग के प्रसार का खतरा हो सकता है. बंदरों के शरीर में पाए जाने वाले टिक्स (किलनी) के काटने से इसके इंसानों में फैलने का खतरा होता है. भारत के कुछ हिस्सों में विशेष रूप से कर्नाटक, महाराष्ट्र और गोवा में इस रोग के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए जा रहे हैं.
Monkey Fever: क्या है क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज
क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज या मंकी फीवर, मनुष्यों के लिए घातक भी हो सकती है. वक्त के साथ इसके लक्षणों के बिगड़ने का खतरा हो सकता है, जिसको लेकर लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है. इस संक्रामक रोग में अचानक बुखार आना, गंभीर सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान जैसे लक्षणों का खतरा हो सकता है. वहीं, बीमारी बढ़ने के साथ उल्टी और दस्त जैसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षणों का भी खतरा हो सकता है.
Monkey Fever: मंकी फीवर के लक्षण
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, मंकी फीवर के गंभीर मामलों में, नाक से खून आने और मसूड़ों से रक्तस्राव जैसी रक्तस्रावी समस्याओं का भी खतरा हो सकता है. वहीं कुछ लोगों में कंपकंपी, चलने में असामान्यताएं और मानसिक भ्रम जैसी न्यूरोलॉजिकल जटिलताएं भी उत्पन्न हो सकती हैं. मंकी फीवर की समस्या में तुरंत उपचार और लक्षणों का शीघ्र पता लगाना अतिमहत्वपूर्ण है.
Monkey Fever: मंकी फीवर का इलाज और बचाव
मेडिकल रिपोर्ट्स की मानें तो केएफडी के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है, लेकिन लक्षणों का पता लगाकर संबंधित समस्याओं के खतरें को कम करने के लिए प्रारंभिक उपचार दिए जाते हैं. वहीं, रक्तस्रावी विकार के लक्षण वाले रोगियों को अस्पताल में भर्ती होने और खूब पानी पीते रहने की सलाह दी जाती है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, लोगों को मंकी फीवर से बचाव करना बेहद ही जरूरी है. हालांकि केएफडी के लिए टीके मौजूद हैं, इससे संक्रमण से बचाव और बीमारी के गंभीर रूप लेने का खतरा कुछ कम हो सकता है. यदि आप भी प्रभावित इलाकों में रहते हैं तो टिक्स के काटने से बचने के लिए सुरक्षात्मक कपड़े पहनना एक बेस्ट तरीका हो सकता है.
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