Chhattisgarh: देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘CRPF’ ने छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के बड़े हमले की साजिश को नाकाम किया है. सोमवार को सीआरपीएफ के जवान नक्सलियों के द्वारा भारी मात्रा में छिपा कर रखें विस्फोटक पदार्थो की गुफा तक पहुंचने में कामयाब रहें. सीआरपीएफ जवानों ने सुकमा के किस्टाराम थाना क्षेत्र के डुब्बामरका एवं बीरम के जंगलों में स्थित एक गुफा से विस्फोटकों एवं हथियारों में बैरल ग्रेनेड लॉन्चर (बीजीएल), बीजीएल प्रोजेक्टर, जिलेटिन रॉड, इलेक्ट्रोनिक डेटोनेटर और आईईडी बनाने के कई सामान बरामद किए है.
Chhattisgarh: आठ किमी पैदल चल कर पहुंचे गुफा तक
बता दें कि CRPF के जवानों ने 7 अप्रैल को इंटेलिजेंस रिपोर्ट के आधार पर सर्च अभियान शुरू किया था. इसी दौरान डुब्बा मरका सीआरपीएफ कैंप से एफ 208 कोबरा, ई 212 एवं डी 241 कंपनियां, डुब्बा मरका और बीरम के जंगलों की ओर रवाना हुई थीं. हालांकि यह अभियान आसान नहीं था. सुरक्षा बलों को ऐसी भी सूचना थी कि नक्सली घने जंगल में घात लगाकर हमला कर सकते हैं.
Chhattisgarh: अधिकारी और जवान हैरान
वहीं, सुरक्षाबललों को रास्ते में आईईडी विस्फोट का भी सामना करना पड़ सकता है. इसके बावजूद उन्होंने आगे बढ़ने का निर्णय लिया. जिसके बाद करीब आठ किलोमीटर पैदल चलने के बाद वो गुफा तक पहुंचे. हालांकि सीआरपीएफ ने जब गुफा में प्रवेश किया, तो अधिकारी और जवान हैरान रह गए. वहां पर बैरल ग्रेनेड लॉन्चर और प्रोजेक्टर का जखीरा छिपा रखा था.
Chhattisgarh: गुफा से मिला हथियारों का जखीरा
सूत्रों के मुताबिक, इन विस्फोटकों और हथियारों के माध्यम से नक्सली किसी बड़े हमले को अंजाम देने की तैयारी कर रहे थे. वहीं, पकड़े गए हथियारों में बीजीएल लांचर एक, बीजीएल प्रोजेक्टर 22, बीजीएल राउंड 4, बीजीएल राउंड नॉर्मल 57, बीजीएल राउंड स्मॉल 12, बीजीएल कार्टेज 4, बीजीएल नट 7, वायरलेस सेट 5, वायरलेस संट चार्जर 3, वोल्ट मीटर 3, सेफ्टी फ्यूज ग्रीन 10 मीटर, सेफ्टी फ्यूज ब्लैक 5 मीटर, नॉन इलेक्ट्रॉनिक डेटोनेटर 105, जिलेटिन 200, गन पाउडर 30 किलोग्राम और विसल कोर्ड 10 सहित 60 आइटम बरामद हुए हैं.
Chhattisgarh: नक्सलियों ने बनाया देसी बैरल ग्रेनेड लॉन्चर
केंद्रीय सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचाने के लिए नक्सलियों ने एक घातक हथियार का ‘देशी’ मॉडल तैयार किया है. बता दें कि इस हथियार का नाम बैरल ग्रेनेड लॉन्चर (बीजीएल) है. वहीं, इससे पहले नक्सलियों द्वारा एक दिन में किसी कैंप पर 5-10 बीजीएल दागे जाते थे, अब देशी मॉडल आने के बाद नक्सली एक ही रात में सुरक्षा बलों, खासतौर से सीआरपीएफ कैंपों पर 150-200 बीजीएल से फायर कर देते हैं.
Chhattisgarh: लोकल स्तर पर हो रहा बीजीएल का निर्माण
हालांकि, देसी ‘बीजीएल’ कई बार मिस हो जाता है. लेकिन सुरक्षाबलों ने घटनास्थल से जो ‘बीजीएल’ बरामद किए हैं, उससे यह पता चलता है कि इनका निर्माण लोकल स्तर पर हो रहा है. इसके निर्माण में लोहे की पतली चद्दर का इस्तेमाल होता है. इस हथियार के सभी पार्ट एक ही व्यक्ति नहीं बनाता बल्कि उन्हें अलग अलग जगहों से मंगाया जाता है. वहीं, लोहा काटने वाली ‘आरी’ और ‘चाबी’ बनाने के लिए जिस सामग्री का इस्तेमाल होता है, उसी से बीजीएल के पार्ट तैयार हो जाते हैं.
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