Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि ईश्वर का अनुग्रह पाने के लिये हमारी पात्रता होनी चाहिए। ईश्वर का अनुग्रह पुरुषार्थ रूपी पात्र में ही टिक सकता है। ईश्वर अनुग्रह करना चाहते हैं मगर हमारे पास अगर पुरुषार्थ का पात्र नहीं होता तो ईश्वर का अनुग्रह किस में भरा जा सकता है? इसीलिए गीता के अंत में कहा है –
यत्र योगेश्वरःकृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः।
तत्र श्री र्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिमम।।
आग लग चुकी है ऐसा समझ में आते ही उसको बुझाने के प्रयत्न में जुट जाना चाहिए और आग को बुझाना हमारे बस की बात अगर नहीं है तो उससे बचने की कोशिश करना चाहिए।
भगवान हमारे साथ हैं, वे हमारे लिये नहीं है। युद्ध हमारा है, उसको हमें लड़ना है। संघर्ष हमारा है तो इस संघर्ष से मुंह फेर कर भागना नहीं है और अगर भागना भी चाहेंगे तो उसमें समस्या का समाधान नहीं है। उससे तो हमारी समस्या बढ़ेगी।
स्वस्थ शब्द के साथ स्वास्थ्य शब्द जुड़ा हुआ है। हम जितने स्वस्थ होते हैं उतना हमारा स्वास्थ्य अच्छा होता है। मगर स्वस्थ रहने के लिए क्या किया जाये? उसका एक सीधा-सादा नियम है। तन जितना चलेगा उतना स्वस्थ रहेगा और मन जितना स्थिर रहेगा उतना हम स्वस्थ रह सकेंगे। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).