Delhi news: दिल्ली विधानसभा का मानसून सत्र आज से शुरू हो रहा है. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता स्कूलों में बेतहाशा बढ़ रही फीस को नियंत्रित करने के लिए एक विशेष विधेयक विधानसभा में पेश करेंगी. लंबे समय से अभिभावक निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वसूली की शिकायत करते आ रहे हैं. बीजेपी सरकार अब इस पर सख्ती दिखाने जा रही है.
माना जा रहा है कि नया कानून निजी स्कूलों की फीस वृद्धि पर लगाम लगाएगा और पारदर्शिता लाएगा. इस बार यह सत्र कई मायनों में खास रहेगा. पहली बार यह सत्र पूरी तरह से पेपरलेस यानी डिजिटल फॉर्मेट में आयोजित होगा.
स्कूल प्रबंधन को 31 जुलाई तक फीस का प्रस्ताव देना होगा
स्कूल प्रबंधन को अगले तीन शैक्षणिक वर्षों के लिए 31 जुलाई तक फीस का प्रस्ताव देना होगा. इस पर समिति की निगरानी रहेगी. अगर 15 सितंबर तक कोई समझौता नहीं हो पाता है, तो मामला जिला शुल्क अपीलीय समिति को भेजा जाएगा. इन जिला-स्तरीय निकायों में शिक्षा अधिकारी, चार्टर्ड अकाउंटेंट, स्कूल प्रतिनिधि और अभिभावक शामिल होंगे. इनके फैसले तीन शैक्षणिक वर्षों के लिए बाध्यकारी होंगे. हालांकि, उच्च संशोधन समिति में अपील की जा सकती है. फीस संरचना निर्धारित करने में बुनियादी ढांचे, शिक्षक वेतन, स्थान और व्यय-से-आय अनुपात जैसे प्रमुख कारकों को ध्यान में रखा जाएगा.
सरकार की आमदनी और खर्चे पर CAG रिपोर्ट
सत्र के दौरान मुख्यमंत्री दो अहम सीएजी (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) रिपोर्टें भी सदन में रखेंगी. पहली रिपोर्ट वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान दिल्ली सरकार की आमदनी और खर्चे की स्थिति पर आधारित है. वहीं, दूसरी रिपोर्ट 31 मार्च 2023 को खत्म हुए वित्तीय वर्ष में भवन और अन्य निर्माण श्रमिकों के कल्याण के लिए खर्च की गई राशि की जांच से जुड़ी है.
स्कूलों पर कठोर दंड
29 अप्रैल को पारित कैबिनेट द्वारा अनुमोदित अध्यादेश के अनुसार, यह विधेयक मनमाने ढंग से फीस बढ़ाने वाले स्कूलों पर कठोर दंड लगाता है. पहली बार उल्लंघन करने पर, स्कूलों पर 1 लाख रुपए से 5 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा, और बार-बार उल्लंघन करने पर 2 लाख रुपए से 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
यदि स्कूल निर्धारित समय सीमा के भीतर शुल्क वापस नहीं करता है, तो जुर्माना 20 दिनों के बाद दोगुना, 40 दिनों के बाद तिगुना और हर 20 दिन की देरी के साथ बढ़ता रहेगा. बार-बार उल्लंघन करने पर स्कूल प्रबंधन में आधिकारिक पदों पर रहने पर प्रतिबंध लग सकता है और भविष्य में शुल्क संशोधन का प्रस्ताव देने का अधिकार भी छिन सकता है.
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