बच्चों को रटने से मिलेगा छुटकार… अब CBSE कराएगा ओपन बुक एग्जाम

CBSE: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अगले साल से क्लास 9 के लिए ओपन बुक परीक्षा शुरू करेगी. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (नेशनल एजुकेशन पॉलिसी-NEP) की सिफारिशों के तहत क्लास 9 के लिए ओपन बुक असेसमेंट (OBA) सिस्टम पर सीबीएसई की गवर्निंग बॉडी की बैठक में विचार किया गया और करिकुलम कमेटी ने इसे मंजूरी दे दी है.

ओपन बुक एग्जाम कोई नया प्रयोग नहीं है. यूरोप के लॉ कॉलेजों में इसकी शुरुआत कई सौ साल पहले ही हो चुकी थी. जिसके कई सालों बाद यह धीरे-धीरे अन्य कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में फैल गया. आज के समय में यूनाइटेड किंगडम के A-level एग्जाम, नीदरलैंड की ज्यादातर यूनिवर्सिटीज, अमेरिका के कुछ कॉलेज, सिंगापुर और हांगकांग के कई संस्थान, और कनाडा के कुछ राज्यों में हाईस्कूल स्तर तक यह सिस्टम अपनाया जाता है.

क्या होता है ओपन बुक एग्जाम?

इस सिस्टम में छात्र परीक्षा के दौरान किताबें, नोट्स और अन्य स्टडी मटीरियल का इस्तेमाल कर सकते हैं. सुनने में यह बेहद आसान लगता है. जैसे, सवाल आया और किताब पलटकर जवाब ढूंढ लिया. लेकिन असली चुनौती यहीं से शुरू होती है. यहां सिर्फ किताब में से लाइन कॉपी कर देना काम नहीं आता. नंबर तभी मिलेंगे जब छात्र जवाब को समझकर, अपनी भाषा में लिखेगा.

स्टूडेंट्स को पता होना चाहिए कि सवाल किस टॉपिक से जुड़ा है, उसका कॉन्सेप्ट क्या है और आप उसे अपने शब्दों में किस तरह समझा सकते हैं. इस तरह की परीक्षा छात्रों की गहरी समझ, विश्लेषण क्षमता और प्रैक्टिकल नॉलेज को परखती है.

अब इसलिए पड़ी जरूरत

ओपन बुक असेसमेंट इस बदलाव का एक अहम साधन माना गया है. प्रस्ताव में कहा गया कि एक पायलट स्टडी में विभिन्न विषयों को आपस में जोड़ने वाले साझा मुद्दों पर टेस्ट लिया गया, जिसमें बच्चों ने अपनी किताबों/सामग्री का इस्तेमाल कर उत्तर दिए. इन नतीजों में स्कोर 12 फीसदी से 47 प्रतिशत के बीच ही रहा. इससे पता चला कि बच्चों को किताबों या स्टडी मटेरियल का प्रभावी उपयोग करने और विषयों को जोड़कर समझने में मुश्किल हो रही है.

रटने से हटकर सोच पर फोकस

प्रस्ताव के मुताबिक कक्षा 9 में ओबीए को हर टर्म में 3 पेन-पेपर असेसमेंट के रूप में शामिल किया जाएगा. ये आकलन मुख्य विषयों में होंगे-लैंग्वेज, मैथमेटिक्स, साइंस और सोशल साइंस. क्वेश्चन पेपर एनसीएफएसई- 2023 के अनुसार होंगे ताकि बच्चे रटने की बजाय वास्तविक जीवन में ज्ञान का प्रयोग करें. यह भी कहा गया है कि पायलट स्टडी के अनुभव के आधार पर सैंपल पेपर बनाए जाएंगे, जिसमें प्रश्नों की क्वॉलिटी और क्रिटिकल थिंकिंग पर जोर रहेगा.

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