हमारी प्रगति में बाधक होते है हमारे प्रशंसक

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि जगत पिता की सीख-पाषाणों को तराशते-तराशते शिल्पकार ने महारत हासिल कर लिया था. ऐसे कुशल शिल्पी के पास मूर्तियां बनवाने के लिये लोगों की कतार लगी रहती थी. शिल्पकार के पुत्र ने पिता की इस कला कौशलता से बढ़ती ख्याति से प्रभावित होकर कुशल शिल्पकार बनने की ठानी. इस दृढ़ संकल्प के बाद इसने भी अपने पिता के साथ पाषाणों पर शिल्प कलाकृतियों को बनाना आरम्भ किया.

धीरे-धीरे शिल्पकार का पुत्र अपने पिता से भी ज्यादा अच्छा शिल्पकार बन गया. इसके हाथ से बनी शिल्पकृतियों को देखकर लोग मुक्त कण्ठ से उसकी प्रशंसा किये बिना नहीं रहते थे. शिल्पकार का पुत्र अपनी प्रशंसा सुनकर फूला नहीं समा रहा था. लेकिन इसका पिता अपने पुत्र की प्रशंसा पर होने वाले गर्व से मन ही मन दुःखी हो रहा था. पिता भय था कि पुत्र प्रशंसा के मद में अपनी शिल्प कला को और अधिक सुन्दर नहीं बना पायेगा.

जब-जब भी शिल्पकार का पुत्र कोई पाषाण की शिल्पकृति बनाता, मूर्ति बनाता तो उसकी जांच अपने पिता से अवश्य करवाता. अपने पुत्र की सुन्दर, अतिसुन्दर, उत्कृष्ट शिल्प कलाकृतियों को देखकर शिल्पकार मन में बहुत खुश होता परन्तु उसमें कोई न कोई त्रुटि अवश्य निकालता. पुत्र भी पिता की निकाली त्रुटि को भविष्य में सुधारने का प्रयत्न करता रहता.

शिल्पकार के पुत्र ने कुछ और शिल्प आकृतियां पाषाणों पर बनायी. जिसकी सर्वत्र प्रशंसा हुई. लेकिन उसमें भी पिता ने त्रुटि निकाली, तब पुत्र ने कहा- पिताजी मेरी शिल्प कृतियों की सर्वत्र प्रशंसा हो रही है लेकिन आप सदैव उसमें त्रुटि क्यों निकालते हैं?

पिता ने कहा – बेटा! जो तेरी प्रशंसा कर रहे हैं, उससे तुमको गर्व और अभिमान न आ जाये, इसलिए मैं तेरी उत्कृष्ट कलाकृतियों में त्रुटि निकलता रहता हूं. ताकि तुम अपनी शिल्पकृति को और अधिक आकर्षक बना सको.

पुत्र को समझाते हुए कहा कि जो प्रशंसक होते हैं वे हमारी प्रगति में बाधक होते हैं. जो निंदक होते हैं, वे प्रगति करने को प्रेरित करते हैं. पिता की बात समझते हुए उसने अपने शिल्प कला में और अधिक मेहनत करनी शुरू कर दी. सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

 

		

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