अनेक विचित्रताओं और विसंगतियों का समूह है संसार:दिव्‍य मोरारी बापू   

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि यह संसार अनेक विचित्रताओं और विसंगतियों का समूह है। वैष्णव कुल भूषण विश्ववंद्य पूज्य गोस्वामी श्री तुलसीदास जी महाराज ने कहा है-

तुलसी इस संसार में, भांति भांति के लोग।

सबसे हिल मिल चालिये

 नदी-नाव संजोग।।

तीन बातें याद रखना चाहिए –

1- सभी परिस्थितियां अपने अनुकूल ही हों यह जरूरी नहीं।

2 – सभी व्यक्ति अपने अनुकूल ही हों यह नहीं हो सकता और

3 – सभी वस्तु अपने अनुकूल ही हों यह असंभव है

अतः परिस्थिति, व्यक्ति और वस्तु को देखते हुए अपने विवेक का सदुपयोग करते हुए हमें व्यवहार करना चाहिए, अतः तीन बातों का ध्यान रखो-

1 – सजग बनो: अपने विवेक के प्रकाश में देखते रहो, कोई आपका उपयोग भले ही करे, दुरुपयोग न करे, सरल बनो, लेकिन सस्ते न बनो।

2 – सरल बनो: अहंकार गिराता है, लोगों से हमें अलग कर देता है, सरलता सबसे जोड़ती है, सद्भाव को बढ़ाती है।

3 – सहज बनो: बिना सहजता के सरलता अभिनय बन जायेगी। बालक की तरह सहज बनेंगे, तो व्यवहार बोझ नहीं बनेगा, थकेंगे नहीं और प्रसन्न रहेंगे। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

 




 

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