Prayagraj: उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है. उनके खिलाफ एक RTI एक्टिविस्ट ने उनकी डिग्री को फर्जी बताते हुए एक याचिका दाखिल की है जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. सुप्रीम कोर्ट के आदश के बाद हाई कोर्ट ने रिव्यु पेटिशन को मंजूर करते हुए महानिबंधक कार्यालय को नियमित याचिका नंबर आवंटित करने का निर्देश दिया है.
बता दें कि इससे पहले याचिका देरी की वजह से ख़ारिज कर दी गई थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हाई कोर्ट ने देरी को माफ़ करते हुए याचिका को स्वीकार कर लिया है. RTI एक्टिविस्ट दिवाकर नाथ त्रिपाठी की ओर से यह याचिका दाखिल की गई है. अब इस याचिका पर 6 मई को जस्टिस संजय कुमार सिंह की सिंगल बेंच में सुनवाई होगी.
केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ याचिका
दरअसल याचिका में आरोप लगाया गया है कि केशव प्रसाद मौर्य ने हिंदी साहित्य सम्मलेन से फर्जी डिग्री प्राप्त की है. इसी फर्जी डिग्री के आधार पर उन्होंने चुनाव लड़ा और पेट्रोल पंप भी हासिल किया. लिहाजा उनके खिलाफ FIR दर्ज होनी चाहिए. याचिकाकर्ता ने 156 (3) के तहत जिला न्यायलय में याचिका दाखिल की थी, जिसे अपर न्यायिक मजिस्ट्रेट ने ख़ारिज कर दिया था. नियम के मुताबिक उन्हें निर्धारित समयवधि में जिला अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देना था. लेकिन याचिककर्ता ने 318 दिन की देरी से हाईकोर्ट में अपील की. जिस आधार पर हाई कोर्ट ने याचिका ख़ारिज कर दी. इसके बाद याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए याचिका के गुणदोष के आधार पर निस्तारण का निर्देश हाई कोर्ट को दिया.
सदस्यता जाने की संभावना
याचिका में जो आरोप लगाए गए हैं वो गंभीर हैं. यदि हाईकोर्ट इस मामले में FIR का आदेश करती है तो फिर जांच होगी और अगर आरोप सिद्ध हुए तो केशव प्रसाद मौर्य की मुश्किलें बढ़ सकती है. और उनकी विधान परिषद की सदस्य्ता समाप्त की जा सकती है.