आजमगढ़। ब्लैक पॉटरी के लिए मशहूर यूपी के आजमगढ़ जिले के निजामाबाद कस्बे के सत्यदेव बरनवाल ने तीरंदाजी की दुनिया में जो मुकाम हासिल किया है। उसका सपना हर खिलाड़ी देखता रहता है। 2004 के ओलंपियन सत्यदेव बरनवाल को लक्ष्मण पुरस्कार के साथ ही ध्यानचंद पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। सत्यदेव के माता-पिता ने सत्यदेव को 11 वर्ष की आयु में मेरठ जिले के भोलझाल के समीप गुरूकुल आश्रम में वर्ष 1991 में अध्ययन के लिए भर्ती कराया। शिक्षा प्राप्त करते हुए लकड़ी के तीर-धनुष से वर्ष 1993 से आश्रम के संचालक स्वामी विवेकानंद सरस्वती की निगरानी में तीरंदाजी का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया। अपनी मेहनत और लगन से सत्यदेव अपनी मंजिल की तरफ बढ़ने लगे। सत्यदेव ने राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतिस्पर्धाओं में कई मेडल जीते। पहली बार 1994 में जूनियर राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिता में चैंपियन बने, 1998 में बैंकांक में एशियन गेम्स में पदक प्राप्त किया। पेरिस में 1999 में आयोजित तीरंदाजी विश्वकप में भाग लेकर उत्कृष्ट प्रदर्शन किए। एथेंस ओलंपिक 2004 में हिस्सा लेते हुए कुछ ही प्वाइंट के अंतर से कांस्य पदक पाने से चूके। 2005 में सत्यदेव को लक्ष्मण पुरस्कार मिला। इसके बाद 2018 में ध्यानचंद पुरस्कार से नवाजे गए। सत्यदेव बरनवाल अगर खेलों का विकास करना है, अपने बच्चों का भविष्य बनाना है और अपनी आने वाली नस्ल को बचाना है तो उसके लिए हमें (माता पिता) अपनी सोच पहले बदलनी होगी। इंजीनियर बनाने के लिए सरकार क्या मदद देती है, डॉक्टर बनाने के लिए सरकार क्या देती है, लेकिन खेल में कुछ करना है तो सरकार से उम्मीद लगाते हैं। हम खुद आगे नहीं आना चाहते। जब तक हम आगे नहीं आएंगे तब तक कुछ नहीं हो सकता है। सत्यदेव के कोच विवेक चिकारा ने कहा कि सत्यदेव बहुत ही होनहार खिलाड़ी है। वह ऐसे अकेले खिलाड़ी हैं, जिन्होंने पैरा एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड जीता है। भारतीय ट्रायल में वर्ल्ड रिकार्ड तोड़ा है।