Types of High Blood Pressure: आज के भागदौड़ से भरे समय में लोगों का किसी भी काम का कोई रूटीन ही नहीं रह गया है। ऐसे में पहले जमाने की वो कहावत बिल्कुल ही सही साबित होते है कि जब जागे तभी सबेरा। लोग देर रात तक काम करने के बाद सोते है और सुबह के समय देर से उठने के कारण उसका खान-पान भी लेट ही होता है। सही खान-पान न होने के कारण कई समस्याओं का सामना करना पडता है। उसमें हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की समस्या सबसे ज्यादा होने लगी है। डब्ल्यूएचओ के द्वारा जारी एक रिकॉर्ड के मुताबिक दुनिया भर में करीब 1.28 अरब लोगों का बीपी बढ़ा हुआ है लेकिन दुर्भाग्य से इनमें से 46 प्रतिशत को पता ही नहीं होता कि उनका बीपी बढ़ा हुआ है। जब किसी अन्य समस्याओं का इलाज कराने जाते हैं, तब उन्हें पता चलता है कि उनका बीपी बढ़ा हुआ है। ऐसे में चलिए जानते है बीपी से जुड़े अन्स कई बातों के बारे में…
क्या होता है हाई ब्लड प्रेशर
आपको बता दें कि जब ब्लड प्रेशर की अधिकतम रीडिंग 120 होती है और न्यूनतम रीडिंग 80 होता है तो इसे सामान्य बीपी माना जाता है। अगर अधिकतम ब्लड प्रेशर 140 है और न्यूनतम ब्लड प्रेशर 90 है तो यह हाई बीपी है। हालांकि अन्य एजेंसियों के मुताबिक यह अलग-अलग हो सकता है।
हाई ब्लड प्रेशर के प्रकार
प्राइमरी हाइपरटेंशन- अधिकांश लोगों को प्राइमरी हाइपरटेंशन होता है। हालांकि इसका वास्तविक कारण अब तक पता नहीं चला है लेकिन जीन, लाइफस्टाइल, डाइट, उम्र इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। आपको बता दें कि स्मोकिंग, ड्रिंकिंग अल्कोहल, तनाव, मोटापा, ज्यादा नमक खाना और एक्सरसाइज नहीं करने वाले को प्राइमरी हाइपरटेंशन ज्यादा होता है। इसलिए इन लोगों को रूटीन बीपी का चैक-अप कराना चाहिए।
सेकेंडरी हाइपरटेंशन– सेकेंडरी हाइपरटेंशन तब होता है जब इसके लिए कोई ज्ञात कारण हो। युवाओं में खासतौर पर सेकेंडरी हाइपरटेंशन होता है। इसके लिए किडनी को खून सप्लाई करने वाली धमनियों को पतला होना, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया, एल्डोस्टेरोनिज्म, रीनोवैस्कुलर हाइपरटेंशन, दवाइयों के साइड इफेक्ट, बर्थ कंट्रोल पिल, एंटी डिप्रेशन की दवा, थायरॉयड हार्मोन की गड़बड़ियां आदि जिम्मेदार हो सकती है। वहीं, 5 से 10 प्रतिशत हाइपरटेंशन के मामले में सेकेंडरी हाइपरटेंशन ही रहता है।
रेजिस्टेंस हाइपरटेंशन- कहा जाता है कि इस स्थिती को कंट्रोल करना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसके लिए कई दवाइयां लेनी पड़ती है। इसमें हमेशा ब्लड प्रेशर हाई रहता है। हालांकि यदि सही से इलाज हो और हाई ब्लड प्रेशर के लिए कोई अन्य बीमारी जिम्मेदार न हो, तो यह सही भी हो सकता है। अगर इलाज न किया जाए इसमें शरीर के अंदरुनी अंगों के डैमेज होने का खतरा बढ़ जाता है।
मेलिगनेंट हाइपरटेंशन- यदि हाई बीपी के कारण शरीर के अन्य अंग डैमेज होने लगे तो इसे मेलिगनेंट हाइपरटेंशन कहते हैं। यह बहुत ही खतरनाक हाइपरटेंशन है जिसमें जान भी जा सकती है। इसमें उपर वाला बीपी 180 तक पहुंच सकता है और नीचे वाला 120 तक जा सकता है। यह इमरजेंसी मेडिकल कंडीशन है जिसमें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराना होता है।
हाइपरटेंसिव अर्जेंसी– हाइपरटेंसिव अर्जेंसी तब होता है जब कोई दूसरा लक्षण न हो और उपर वाला बीपी 180 से और नीचे वाला 120 तक पहुंच जाए। हालांकि अगर कोई अन्य लक्षण न हो या अन्य कोई बीमारी इसके लिए जिम्मेदार न हो तो हाइपरटेंसिव अर्जेसी जल्दी ही नीचे भी आ जाती है। इस स्थिती में केवल एक प्रतिशत मामले में अस्पताल जाने की जरूरत पड़ती है।
व्हाइट कोट हाइपरटेंशन– यह बहुत ही हैरान कर देने वाली बीमारी है। व्हाइट कोट हाइपरटेंशन तब होता है जब डॉक्टर के पास जाएंगे तो बीपी नॉर्मल हो जाएगा लेकिन अगर आप ट्रैफिक में फंसे हुए हैं तो वहां ज्यादा हो जाएगा। इसी तरह घर पर या बाहर में बीपी नॉर्मल रहेगा लेकिन ऑफिस में बीपी बढ़ा हुआ रहेगा। तत्काल इसमें कोई असर नहीं दिखता लेकिन यह हार्ट संबंधी जटिलताओं को बढ़ा देता है। भारतीय युवाओं में व्हाइट कोट हाइपरटेंशन की बीमारी का जोखिम सबसे ज्यादा माना जाता है।
हाई बीपी को ऐसे करें कंट्रोल
हाई बीपी को कंट्रोल करने के सबसे पहले आप समय-समय पर बीपी की जांच कराते रहे। अगर बीपी कई मौकों पर ज्यादा है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और नियमित रूप से दवाई लें। इसके साथ ही हाई बीपी को कंट्रोल करने के लिए डायबिटीज और मोटापे को भी कंट्रोल करें। हेल्दी डाइट को अपनाएं. प्रोसेस्ड फूड, पैकेज्ड फूड, सिगरेट, शराब, तली-भूनी चीजें, डेयरी प्रोडक्ट आदि का सेवन करने से बचें। इसके साथ ही नियमित रूप से सीजनल सब्जियों का सेवन करें और नियमित रूप से एक्सरसाइज करें।