Hartalika Teej: हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। सनातन धर्म में हरतालिका तीज पर्व का विशेष महत्व होता है। यह पर्व शिव पार्वती को समर्पित है। ये व्रत सुहागन महिलाओं के साथ ही कुंवारी कन्याओं के लिए सबसे बड़ा माना गया है। इस दिन सभी महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती के निमित्त निर्जला व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। कुंवारी कन्याएं सुयोग्य वर की कामना करते हुए हरतालिका तीज का व्रत करती हैं।
हरितालिका तीज का अर्थ
हरतालिका तीज तीन शब्दों से बना है, पहला है हरत जिसका मतलब है हरण, दूसरा शब्द है आलिका जिसका मतलब है सहेलियां और तीसरा शब्द है तीज जिसका मतलब है तृतीय तिथि। हुआ यूं कि पार्वती माता को शिव जी पसंद थे लेकिन उनकी सहेलियों को डर था कि कहीं पार्वती के पिता पार्वती का विवाह विष्णु से ना कर दें इसलिए सहेलियां पार्वती को दूर जंगल में भगा ले गयी थीं, जहां माता पार्वती ने व्रत किया था। अंततोगत्वा माता पार्वती को उनकी इच्छानुसार वर मिला इसलिए ऐसा मानते हैं कि जो कुंवारी लड़की हरतालिका व्रत करेगी उसे भी सुयोग्य वर मिलेगा।
कब है हरतालिका तीज
हिंदू पंचांग के मुताबिक, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि इस बार 18 सितंबर 2023, दिन सोमवार को पड़ रही है। इस तिथि का शुभारंभ 17 सितंबर 2023 को सुबह 11:08 बजे से शुरू होगा। जिसकी समाप्ति 18 सितंबर 2023 को दोपहर 12:39 बजे होगी।
हरतालिका तीज की पूजा का शुभ मुहूर्त
हरतालिका तीज के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात: काल 06:07 बजे से सुबह के 08:34 बजे तक रहेगा। व्रति को कुल 2 घंटे 27 मिनट का टाइम पूजा के लिए मिल रहा है।
हरतालिका तीज की पूजा विधि
हरतालिका तीज के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं और निर्जला व्रत करने का संकल्प लें।
यदि स्वास्थ्य संबंधी कोई परेशानी है तो फलहार पर भी व्रत कर सकती हैं।
इस व्रत में दिन में सोया नहीं जाता, इसलिए पूरे दिन मन में भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करती रहें।
शाम के समय भगवान शिव और माता पार्वती को एक लकड़ी की साफ चौकी पर स्वच्छ वस्त्र बिछाकर स्थापित करें।
अब देवी पार्वती को 16 श्रृंगार अर्पित करें और उनसे पति की लंबी उम्र की कामना करें।
विधि विधान से पूजा करने के बाद विवाहित स्त्रियां अपनी सास को सौभाग्य की वस्तुएं दें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।
इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पांच बार पूजा की जाती है।
हर पूजा के पहले स्नान करने के परंपरा है, पूरी रात जागरण करने के बाद अगले दिन व्रत का पारण किया जाता है।
इन मंत्रों का करें जाप
उपवास के दौरान दिन भर और पूजा के समय आप ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें।
माता पार्वती का पूजन करते समय ‘ॐ उमायै नम:’ मंत्र का जाप करें।