काशी के कोतवाल बाबा कालभैरव का 107वां वार्षिक श्रृंगार महोत्सव का हुआ आयोजन

वाराणसी। काशी के कोतवाल बाबा कालभैरव का हरियाली शृंगार महोत्सव बृहस्पतिवार को आयोजित हुआ। शिव स्वरूप में विराजे बाबा कालभैरव का दर्शन कर भक्त भी निहाल होते रहे। श्री काशी विश्वनाथ के रुद्र स्वरूप की झांकी के दर्शन के लिए देर रात तक श्रद्धालु मंदिर पहुंचते रहे। बृहस्पतिवार को बाबा कालभैरव का 107वां वार्षिक हरियाली शृंगार महोत्सव मनाया गया। पूरे मंदिर परिसर को फूल और पत्तियों से सजाकर भव्य स्वरूप दिया गया। महोत्सव का शुभारंभ संयोजक पं. राजेश मिश्र के आचार्यत्व में बाबा के पंचामृत स्नान से हुआ। सिंदूर अर्पण करने के बाद नवीन वस्त्र और रजत मुखौटा धारण कराया गया। माला और आभूषणों से बाबा की झांकी सजाई गई। सिंदूर लेपन के बाद बाघंबरी वस्त्र धारण कराया गया और पकवानों का भोग लगाकर शृंगार आरती उतारी गई। शाम चार बजे 11 ब्राह्मणों ने बसंत पूजन संपन्न कराया। सायंकाल छह बजे से भक्त अनिल सिंह के साथ कलाकारों ने भजन प्रस्तुत किए। भोग आरती के बाद भक्तों में हलुआ और पूड़ी के प्रसाद का वितरण किया गया। रात्रि में बाबा भैरव की 1008 बत्ती व कपूर से महाआरती कर महोत्सव को विराम दिया गया। बाबा कालभैरव के हरियाली शृंगार की शुरुआत 1915 में हुई थी। मंदिर के पं. राजेश मिश्रा ने बताया कि 1915 में देश में भयंकर सूखा पड़ा था। तब उनके परनाना पंडित गौरी शंकर दुबे ने सूखे से मुक्ति और हरियाली के लिए इस महोत्सव का आयोजन किया था। उस साल से लेकर अब तक हर वर्ष हरियाली महोत्सव का आयोजन होता चला आ रहा है। गुरुवार को महोत्सव का शुभारंभ संयोजक पं. राजेश मिश्र के आचार्यत्व में बाबा के पंचामृत स्नान से हुआ। सिंदूर अर्पण कर बाबा को नवीन वस्त्र और मुखौटा धारण कराया गया। मालाओं और स्वर्ण-रजत आभूषणों से झांकी सजाई गई। शृंगार के पश्चात पकवानों का भोग लगाकर भव्य आरती की गई। इसके साथ दर्शन श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। शाम चार बजे 11 वैदिक ब्राह्मणों ने बसंत पूजा कराई। शाम 6 बजे से कलाकारों ने भजनों के माध्यम से बाबा के चरणों में स्वरांजलि अर्पित की।

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