राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि देवता के प्रति पूर्ण समर्पण जरूरी है, औपचारिकता के रूप में करने से कुछ होने वाला नहीं है। पत्नी अगर कहे कि पन्द्रह दिन हम अपने माता-पिता के यहाँ रहेंगे और पन्द्रह दिन आपके यहां रहेंगे, तो क्या पति तैयार होगा। पूर्ण समर्पण, आप जैसे रखोगे हम रहेंगे। इसी तरह किसी भी इष्ट देवता के प्रति आप पूर्ण समर्पित हो जाओ, उनके बन जाओ, चलते-फिरते, खाते-पीते उन्हीं का चिंतन हो फिर वह आपके बन जाते हैं। फिर सदैव रक्षा होगी। उन्होंने कहा कि बस इतनी प्रार्थना करो, हे गणेश जी महाराज! हमारे भजन में कोई बाधा न आवे। भजन निर्बाधित तभी होगा, जब व्यापार, परिवार, बच्चे, स्वास्थ्य सब ठीक हो। कुछ बिगड़ेगा तो बाधा आ गई। वो तो सिद्ध कोटि के लोग हैं।
जिनके जीवन में विपत्तियां आती रही, और वो भजन में लगे रहे। हर व्यक्ति इतना समर्थ नहीं होता कि विपत्तियां आवें और भजन चलता रहे। प्रार्थना करो भगवान हमारा भजन ठीक चलता रहे, एक शब्द सारा काम करा देगा। श्री गणेश चतुर्थी व्रत, संकष्टी चतुर्थी व्रत, अंगारक चतुर्थी व्रत, करवा चौथ आदि की कथाओं का वर्णन किया गया। छोटीकाशी बूंदी की पावन भूमि, श्री सुदामा सेवा संस्थान वृद्धाश्रम का पावन स्थल, महाराज श्री-श्री घनश्याम दास जी महाराज के पावन सानिध्य में चातुर्मास के पावन अवसर पर श्री गणेश महापुराण कथा में कल भगवान के द्वादश नामों का विस्तार से वर्णन किया जाएगा।