गोरखपुर। कोरोना से जंग जीत चुके लोगों को कम से कम 90 दिनों तक टीकाकरण के लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है। संक्रमण के बाद 90 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी बन रही है। एंटीबॉडी टाइटर टेस्ट में इसकी तस्दीक भी हुई है। संक्रमित होने के बाद निजी लैबों में प्रतिदिन आठ से 10 लोग एंटीबॉडी टाइटर टेस्ट करवा रहे हैं। ऐसे लोगों के शरीर में एंटीबॉडी विकसित मिली है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष व वायरोलॉजिस्ट डॉ अमरेश सिंह बताते हैं कि एक बार अगर कोई व्यक्ति संक्रमित हो जाता है, तो वायरोलॉजी के अनुसार उसे वैक्सीनेशन की जरूरत तत्काल नहीं होती है। ऐसे लोग कम से तीन महीने तक इंतजार करें। एंटीबॉडी टाइटर टेस्ट के जरिए लोग पता भी कर सकते हैं कि उनके शरीर में एंटीबॉडी बनी है या नहीं। अगर व्यक्ति संक्रमित नहीं हुआ है और उसे वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है, तो ऐसे लोग तत्काल एंटीबॉडी टाइटर टेस्ट न कराएं। दो डोज लगने के 15 से 20 दिनों बाद टेस्ट कराकर पता कर सकते हैं कि शरीर में एंटीबॉडी कितनी बनी है। हालांकि यह जांच महंगी है। डॉ अमरेश सिंह ने बताया कि अगर पहली डोज लगने के बाद कोई संक्रमित हो जाता है, तो उसे एंटीबॉडी टाइटर टेस्ट की जरूरत नहीं है। ऐसे लोग ठीक होने के करीब तीन माह बाद ही दूसरी डोज लें। संक्रमण के बाद उनके अंदर एंटीबॉडी बन चुकी होती है। लाइफ डायग्नोस्टिक के निदेशक डॉ अमित गोयल ने बताया कि दूसरी लहर के बाद लोग एंटीबॉडी टाइटर टेस्ट करा रहे हैं। प्रतिदिन आठ से 10 लोग यह टेस्ट कराने पहुंच रहे हैं। इसमें अधिकतर संक्रमण से ठीक होने वाले हैं। ऐसे 90 से 95 प्रतिशत लोगों के शरीर में एंटीबॉडी बनी पाई गई है। ऐसे भी लोग आ रहे हैं, जिन्होंने वैक्सीन की दोनों डोज ले ली है। ऐसे लोगों के शरीर में भी एंटीबॉडी मिल रही है। जबकि पहली लहर में यह संख्या न के बराबर थी।