लखनऊ। प्रदेश का टैक्स बढ़ाने के लिए अपंजीकृत व्यापारियों का पंजीकरण कराने के लिए वाणिज्य कर विभाग की नजर गांवों के दुकानदारों पर भी है। विभाग ने 2000 से अधिक आबादी वाले गांवों में व्यापार करने वाले व्यापारियों की तलाश के लिए अभियान चलाने का फैसला किया है। इसके लिए विभागीय स्तर पर एक कार्ययोजना तैयार की जा रही है। जिसमें विकास खंडवार अधिकारियों की टीम बनाकर गांवों में भेजा जाएगा। जल्द ही इस कार्ययोजना पर काम शुरू होगा। दरअसल देश का सबसे बड़ा प्रदेश होने के नाते यूपी को उपभोक्ता प्रदेश की श्रेणी में रखा गया है। यानि जीएसटी अधिनियम में उसी प्रदेश को ही सर्वाधिक फायदा होना है, जिन प्रदेश में अधिक उपभोक्ता होंगे। इसके मद्देनजर जीएसटी लागू होने के बाद से ही प्रदेश का टैक्स बेस बढ़ाने को लेकर कई तरह से प्रयास किए जा रहे हैं।
इसके तहत ही वाणिज्य कर विभाग ने एक कार्ययोजना तैयार किया है। जिसके तहत नगर निगम वाले शहरों के अलावा नगर पालिका परिषद और छोटी नगर पंचायतों तक के व्यापारियों को जीएसटी में पंजीकृत कराने का अभियान चलाया जाएगा इसी कड़ी में विभाग ने गांवों में दुकान या अन्य व्यापार करने वाले व्यवसायियों को भी जीएसटी के दायरे में लाने का फैसला किया है। इसके लिए मानक बनाया गया है कि फिलहाल यह अभियान 2000 से अधिक आबादी वाले गांवों के पंजीकृत व अपंजीकृत व्यापारियों का ब्योरा जुटाया जाएगा। इसके बाद उनका जीएसटी में पंजीकरण कराया जाएगा। वाणिज्य कर मुख्यालय ने इस संबंध में सभी जोनल एडिशनल कमिश्नरों को दिशा-निर्देश जारी कर दिया है। गांवों के व्यापारियों का ब्योरा जुटाने के साथ ही विभिन्न सरकारी विभागों में पंजीकृत व्यापारियों का भी डेटा जुटाने के लिए विशेष अनुसंधान शाखा के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है।