वाराणसी। यूपी कॉलेज में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के स्नातक स्तर पर न्यूनतम समान पाठ्यक्रम लागू करने की कवायद शुरू हो गई। मंगलवार को प्राचार्य की अध्यक्षता में हुई हेड व डीन की बैठक में कमेटी का गठन किया गया। प्राचार्य डॉ. एसके सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों में सत्र 2021-22 में स्नातक स्तर पर न्यूनतम समान पाठ्यक्रम लागू होना है। शासन ने इसके लिए कॉमन सिलेबस का विभागीय अध्ययन बोर्ड से अनुमोदन कराने का निर्देश दिया गया है। इसी संदर्भ में वर्चुअल बैठक का आयोजन किया गया। अध्ययन बोर्ड क मेटी 15 जून तक अपने सुझाव व रिपोर्ट सौंपेंगी। सभी विश्वविद्यालयों में अपने स्तर से पाठ्यक्रमों में 30 फीसदी संशोधित कर लागू करने की छूट दी गई है। विश्वविद्यालय स्तर पर गठित होने वाली समितियों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति पहली यूनिट में भारतीय ज्ञान परंपरा से संबंधित विषय वस्तु रखने का निर्देश दिया गया था। इसके अलावा शोध को बढ़ावा देने के लिए प्रथम व द्वितीय वर्ष में रिसर्च ओरिएंटेड जोड़ने का सुझाव दिया गया था तथा तीसरे वर्ष में प्रोजेक्ट वर्क रखा गया है। वहीं स्नातक स्तर पर न्यूनतम समान पाठ्यक्त्रस्म आठ सेमेस्टरों में तैयार किया गया है ताकि आने वाले समय में चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्त्रस्म लागू किया जा सके। स्नातक के चार वर्षीय पाठ्यक्त्रस्म में बीच में पढ़ाई छोड़ देने के बाद भी विद्यार्थियों का साल नहीं बर्बाद होगा। एक वर्ष पूर्ण करने वाले विद्यार्थियों को सर्टिफिकेट मिलेगा। इसी प्रकार दूसरे वर्ष डिप्लोमा, तीसरे वर्ष एडवांस डिप्लोमा व चौथे वर्ष डिग्री मिलेगी। स्नातक करने के बाद विद्यार्थी सीधे रिसर्च भी कर सकता है। यूजीसी की गाइड लाइन के अनुसार काशी विद्यापीठ व यूपी कालेज में अगले सत्र से एनसीसी इलेक्टिव कोर्स शुरू किया जाएगा।