राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि श्री शिव महापुराण, शतरुद्र- संहिता, भगवान शिव के अवतारों का वर्णन मंगलाचरण में शिव परिवार का वर्णन है- शिव पार्वती के दो पुत्र हुए, कार्तिकेय और गणेश। गणेश जी के भी दो पुत्र हुए शुभ और लाभ। इसके पीछे संकेत यही है कि हमारा गृहस्थ संतुलित होना चाहिए। सागर महाराज का दो विवाह हुआ, सुमति और केशनी। एक महारानी के यहां साठ हजार पुत्र हुए, जो उद्दंड हो गए, कपिल भगवान का अपराध करके जल के राख हो गए, दूसरी महारानी के यहां एक ही पुत्र हुआ, वही आगे चल कर गंगा अवतरण का कारण बना और जगत का मंगल हुआ। भगवान श्री राम के दो पुत्र हुए, लव और कुश। भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न के भी दो-दो पुत्र हुए। पुत्र और पुत्री में कोई भेद नहीं है, दो संतान प्रयाप्त है। ज्यादा संतान से गृहस्थ असंतुलित हो जाता है, उस परिवार से सारी शुभ संभावनाएं समाप्त हो जाती हैं। ज्यादा संतान- मक्खी, मच्छर ,खटमल को होती है, जो शिवाय गंदगी फैलाने के और कुछ नहीं करते। सत्संग समाज, परिवार और जीवन को व्यवस्थित करने की पाठशाला है। अर्धनारीश्वर अवतार, नंदीश्वर- अवतार, भैरव अवतार, शरभ- अवतार, गृहपति अवतार, यक्षेश्वर अवतार, हनुमद् अवतार, दुर्वासा- अवतार,
पिप्पलादावतार की कथाओं का वर्णन किया गया।
छोटीकाशी बूंदी की पावन भूमि, श्री सुदामा सेवा संस्थान (वृद्धाश्रम) का पावन स्थल, तीर्थगुरु पुष्कर, गोवर्धन से महाराज श्री घनश्याम दास जी महाराज के पावन सानिध्य में चल रहे चातुर्मास कथा में कल कोटि- रूद्र संहिता के अंतर्गत द्वादश ज्योतिर्लिंग की कथा का वर्णन किया जायेगा।