वाराणसी में चेतावनी बिंदु से 60 सेंटीमीटर नीचे है गंगा का जलस्तर

वाराणसी। गंगा खतरा बिंदु की ओर बढ़ रही हैं। गंगा के जलस्तर में हो रही बढ़ोतरी से लोग सहम गए हैं। वरुणा में पलट प्रवाह से तटीय इलाकों के मकानों में पानी घुस गया है। कुछ लोगों ने पहली मंजिल पर शरण ली है तो कई लोगों ने ऊंची जगहों पर पलायन शुरू कर दिया है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार शुक्रवार की दोपहर दो बजे गंगा का जलस्तर 69.66 मीटर दर्ज किया गया। वाराणसी में गंगा का खतरा बिंदु 71.26 मीटर पर है। ऐसे में जलस्तर खतरा बिंदु से 1.6 मीटर ही दूर है। शुक्रवार को गंगा का जलस्तर छह सेंटीमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से बढ़ रहा है। दोपहर दो बजे के आंकड़े के अनुसार गंगा का जलस्तर 69.66 मीटर पहुंच गया। चेतावनी बिंदु 70.26 से जलस्तर महज 60 सेंटीमीटर ही दूर है। वाराणसी में खतरा का निशान 71.26 मीटर है, जोकि 1.6 मीटर ही बचा है। खतरा बिंदु की बढ़तीं गंगा से तटवर्ती क्षेत्रों के लोग सहम गए हैं। वरूणा में पलट प्रवाह से तटीय इलाकों के मकानों में पानी घुस गया है। कुछ लोगों ने पहली मंजिल पर शरण ली है तो कई लोगों ने ऊंची जगहों पर पलायन शुरू कर दिया है। जलस्तर यदि इसी वेग से बढ़ता रहा तो वाराणसी में सामने घाट क्षेत्र की कॉलोनियों, वरुणा किनारे के मोहल्लों और ढाब क्षेत्र के गांवों में रहने वाले लोगों की मुश्किलें जल्द बढ़ जाएंगी। गंगा का जलस्तर बढ़ने के कारण जल पुलिस और एनडीआरएफ की 11वीं वाहिनी के जवानों को अतिरिक्त सतर्कता के साथ ड्यूटी करने के लिए कहा गया है। वहीं बाढ़ प्रभावित इलाकों के लोगों को सतर्क होकर रहने के लिए प्रशासन की ओर से आगाह किया गया है। गंगा के जलस्तर में हो रही लगातार वृद्धि को देखते हुए क्रूज के संचालन को रोक दिया गया है। चेतावनी बिंदु के करीब जलस्तर पहुंचने और पर्यटकों की सुविधा का ख्याल रखते हुए अलकनंदा क्रूज का संचालन शुक्रवार से अगले आदेश तक स्थगित कर दिया गया है। यह जानकारी क्रूज के निदेशक विकास मालवीय ने दी है। गंगा में बढ़ाव से ढ़ाब वासियों को बाढ़ की चिंता सताने लगी है। नदी के किनारे बोई गई सब्जियां डूबने लगी हैं। चिरईगांव विकास खंड के मुस्तफाबाद रेतापार के किसान गंगा किनारे सब्जी की खेती किए हैं। रेतापार के किसान सरजू निषाद ने बताया कि खेत किराए पर लेकर सब्जी की खेती की थी, फसल डूब गई है। रामबली निषाद, शंकर, राजेंद्र, झटकू, रमाशंकर, हीरा, निरंजन, जयराम का कहना है कि सब्जियाें के साथ पशुओं का चारा भी डूब गया। इससे पशुओं के चारे का संकट उत्पन्न हो गया है।

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