गोरखपुर। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में जल्द ही योग के नए पाठ्यक्रम के साथ ही शोध कार्य भी शुरू होंगे। स्नातक, स्नातकोत्तर और डिप्लोमा स्तर पर योग के पाठ्यक्रम के साथ ही शोध कराने की भी तैयारियां चल रही हैं। इससे विद्यार्थियों के लिए रोजगार के नए आयाम भी खुलेंगे। कार्यपरिषद से मुहर लगने के बाद पाठ्यक्रम संचालन की प्रक्रिया भी तीव्र हो गई है। कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने बताया कि संपूर्णानंद में आगामी सत्र से शास्त्री, आचार्य में योग के पाठ्यक्रम आरंभ होंगे। योग में स्नातकोत्तर उत्तीर्ण करने वाले विद्यार्थी के लिए योग में शोध भी कराया जाएगा। इससे विद्यालय, महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय स्तर पर योग शिक्षक बनकर सेवा करने का अवसर छात्रों को मिलेगा। कुलपति ने बताया कि योग सही तरह से जीने का विज्ञान है। आज संपूर्ण विश्व योग की तरफ देख रहा साथ ही उसमें जीने की कोशिश कर रहा है। हमारे देश की सरकार की पहल से आज संपूर्ण विश्व योग दिवस को स्वीकार कर चल रहा है। वर्तमान में कोरोना की स्थिति में संपूर्ण विश्व ने योग से जुड़कर हमारी संस्कृति और संस्कार को आत्मसात किए हैं। यह हमारे जीवन से जुड़े भौतिक, मानसिक, भावनात्मक, आत्मिक और आध्यात्मिक आदि सभी पहलुओं पर काम करता है। योग का अर्थ एकता या बांधना है। इस शब्द की जड़ है संस्कृत शब्द युज, जिसका मतलब है जुड़ना। आध्यात्मिक स्तर पर इस जुड़ने का अर्थ है सार्वभौमिक चेतना के साथ व्यक्तिगत चेतना का एक होना। अगर इसके व्यवहारिक स्तर की बात करें तो योग शरीर, मन और भावनाओं को संतुलित करने और तालमेल बनाने का एक साधन है।