नई दिल्ली। भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए जल्द ही प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की नीति में बदलाव करेगा। इसके तहत अंतरिक्ष क्षेत्र में विदेशी निवेश को बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्रों को भी साथ लिया जाएगा। यह बात भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के सिवन ने सीआइआइ (कन्फेडेरेशन आफ इंडियन इंडस्ट्री) के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही है। डॉ. के सिवन ने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति को संशोधित किया जा रहा है और यह अंतरिक्ष कंपनियों के लिए भारत में निवेश करने के लिए बड़े अवसर खोलेगा। यह भारतीय और विदेशी कंपनियों के बीच निरंतर जुड़ाव सुनिश्चित करेगा जिससे दोनों को बहुत लाभ होगा। इस नीति से अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत में विदेशी निवेश के लिए निजी क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा। दूसरी ओर इसरो अनुसंधान और विकास के साथ-साथ अंतरिक्ष विज्ञान मिशन पर भी ध्यान केंद्रित करेगा। यह समय पर और अधिक प्रतिक्रियाशील तरीके से चुनौतियों पर काबू पाने और तकनीकी अंतराल को कम करने पर काम करेगा। इसके अलावा भारत वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में अपनी हिस्सेदारी को दो फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी करने का लक्ष्य निर्धारित करेगा, भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र के नए नियुक्त अध्यक्ष डॉ पवन गोयनका ने यह बात कही।
गौरतलब है कि पिछले साल, केंद्र सरकार ने जून 2020 में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर द्वारा घोषित अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्रों के लिए खोल दिया था, जिससे अंतरिक्ष स्टार्ट-अप में वृद्धि हुई। कई स्टार्ट-अप अंतरिक्ष परियोजनाओं पर काम कर रहे थे लेकिन भारत में ढांचे की कमी के कारण अन्य देशों के साथ सहयोग कर रहे थे। इसरो के वैज्ञानिक सचिव डॉ उमामहेश्वरन की अध्यक्षता में एक अंतरिम INSPACe, विभिन्न अंतरिक्ष मिशनों और अंतरिक्ष-आधारित अनुप्रयोगों के लिए उद्योग द्वारा लगभग 40 अनुप्रयोगों को देखने की प्रक्रिया में है।