पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्री कृष्ण- ईश्वर सत्य है, अगर हम सबमें ईश्वर का दर्शन करेंगे, तो हमारे जीवन से असत्य कर्म एवं असत्य व्यवहार की विदाई हो जायेगी। ईश्वर सर्वत्र है इसका मतलब है कोई ऐसा स्थान नहीं है जहां ईश्वर नहीं है। और ईश्वर सर्वकाल में है इसका अर्थ हुआ कोई ऐसा समय नहीं है जब ईश्वर नहीं है। ईश्वर सदैव और सर्वत्र है, बस ऐसा भाव हृदय में उत्पन्न हो जाए, तब मानो जीवन सत्यमय हो गया। सबमें परमात्मा का दर्शन करना सत्य है। ‘ सत्यं च समदर्शनम् ।’ वेद भगवान् आदेश देते हैं – ‘ सत्यं वद धर्मं चर।’ अर्थात् सत्य बोलो और अपने वर्णाश्रम के अनुसार धर्म का आचरण करो। सत्य के साथ मधुरता का होना सोने पर सुहागा है- सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यं अप्रियं। प्रियं च नानृतं ब्रूयात् एष धर्म सनातनः।। कहहिं सत्य प्रिय बचन बिचारी। जागत सोवत शरण तिहारी।। तुमहिं छाड़ि गति दूसरि नाही। राम बसहु तिन्हके मनमाहीं।। अर्थात् सत्य बोलो, मधुर बोलो। यदि सत्य बोलने से किसी की भारी हानि अथवा हिंसा होती है तो उस सत्य को बोलने से अपने को रोक लो। सत्य इतना कड़वा भी न हो कि असत्य प्रतीत हो। आध्यात्मिक एवं व्यवहारिक दोनों पक्षों में सत्य की बहुत महिमा है, सांच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप। जाके हृदय सांच है, ताके हृदय प्रभु आप।। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी ,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)