पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि सतीमोह, भगवती पार्वती का प्राकट्य, भगवती पार्वती का तप और शिव विवाह की कथा का गान किया गया। शिव पार्वती श्रीरामकथा श्रवण करने के लिए अगस्त्य ऋषि के आश्रम पर पधारे, अगस्त ऋषि ने श्रीरामकथा का गान किया और भगवान शंकर ने अगस्त महर्षि को भगवान् श्री राम की भक्ति प्रदान किये। भगवान की भक्ति दो ही दे सकते हैं या तो संत या तो शिव, ये दोनों बात रामायण में लिखा है, स्वयं भगवान श्री राम के द्वारा ही बताया गया है।अरण्यकांड में भगवान श्रीराम ने लक्ष्मण जी के प्रश्नों के उत्तर में जो उपदेश दिया, उसे राम गीता के नाम से जानते हैं। श्री राम गीता में भगवान् श्री राम कहते हैं। भगति तात अनुपम सुख मूला। मिलहिं जो संत होहिं अनुकूला। उत्तरकांड में भगवान् श्रीराम ने पुरजन उपदेश के समय समस्त पुरवासियों के सन्मुख कहते हैं। औरउ एक गुप्त मत सबहिं कहउँ जोरि। देखे बिनु रघुनाथ पद जिय की जरनि न जाय। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।