उत्तराखंड। उत्तराखंड में चीन सीमा के निकट स्थित गरतांग गली पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गई है। यहां 15 दिन में अब तक 500 पर्यटक गरतांग गली का दीदार करने पहुंच चुके हैं। साथ ही हर दिन करीब 40 से 50 पर्यटक पहुंच रहे हैं। उत्तरकाशी जनपद मुख्यालय से करीब 85 किमी दूर स्थित गरतांग गली जनपद का बेहतरीन पर्यटन स्थल के रूप में उभर रहा है। मात्र 15 दिन में 500 पर्यटक यहां पहुंच चुके हैं। यह स्थिति तब है, जब कोविड के चलते पर्यटन गतिविधियां सीमित हैं। बीते 18 अगस्त को जिला प्रशासन ने 59 साल बाद ऐतिहासिक गरतांग गली को पर्यटकों के लिए खोला था। भारत-तिब्बत के बीच व्यापारिक रिश्तों की गवाह रही गली (रास्ते) को 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद सुरक्षा कारणों के चलते बंद कर दिया गया था। करीब 150 साल पुरानी इस रास्ते के बारे में कहा जाता है कि इसे सीमांत जादूंग गांव के सेठ धनी राम ने कामगारों से तैयार कराया था, जो कि चट्टान को काटकर उस पर लोहे की रॉड गाड़कर व लकड़ी के फट्टे बिछाकर बनाई गई थी। लेकिन चलन से बाहर होने पर यह खस्ताहाल हो गई थी। हाल ही में लोक निर्माण विभाग ने करीब 65 लाख की लागत से इस गली का जीर्णोद्धार कराया, जिसमें देवदार की लकड़ी से दोबारा सीढ़ीदार रास्ता तैयार किया गया है। गरतांग गली का भ्रमण कर लौटे स्थानीय विनोद राणा, संजय उप्पल, अमीरचंद ने बताया कि सफर रोमांच से भरपूर है। गंगोत्री नेशनल पार्क के वन क्षेत्राधिकारी प्रताप पंवार ने बताया कि अभी तक लगभग 500 पर्यटक गरतांग गली का दीदार करने पहुंच चुके हैं और पर्यटकों के आने का सिलसिला लगातार जारी है। शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी गरतांग गली पहुंचे थे। उनका कहना था कि पर्यटकों के लिए गरतांग गली की यात्रा बेहद ही रोमांचक होगी। जब संज्ञान में आया कि इसका कार्य पूरा हो चुका है तो वह यहां यात्रा के लिए पहुंचे। शीतकालीन पर्यटन की दृष्टि से यहां पर ‘स्नो लेपर्ड पार्क व्यू’ स्थापित किया जा रहा है, जो लगभग आठ करोड़ की लागत से बनेगा। उन्होंने कहा कि यह स्नो लेपर्ड पार्क व्यू भी आकर्षण का केंद्र बिंदु बनेगा और उससे जहां पर्यटक बढ़ेंगे, वहीं सैकड़ों स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिलेगा। बता दें कि नेलांग घाटी सामरिक दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र है। गरतांग गली भैरव घाटी से नेलांग को जोड़ने वाले पैदल मार्ग पर जाड़ गंगा घाटी में मौजूद है। उत्तरकाशी जिले की नेलांग घाटी चीन सीमा से लगी है। सीमा पर भारत की सुमला, मंडी, नीला पानी, त्रिपानी, पीडीए और जादूंग अंतिम चौकियां हैं।