कमाई के साथ पढ़ाई कर सकेंगे मजदूर

नई दिल्ली। देश के गांव, तहसील और शहरों में काम करने वाले संगठित, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए अच्छी खबर हैं। अब वे दिनभर के कामकाज के साथ साथ पढ़ाई भी कर राष्ट्रीय स्तर के विश्वविद्यालय से प्रमाण पत्र भी हासिल कर सकेंगे। दरअसल, श्रम और रोजगार मंत्रालय के अधीन वाला दत्तोपंत ठेंगड़ी श्रमिक शिक्षा और विकास बोर्ड श्रमिकों की स्किल को बढ़ाने के लिए लर्निंग के जरिए अर्निंग योजना शुरू करने जा रहा है। इसमें मजदूरों को उनके गांवों और शहरों में ही उनकी योग्यता के मुताबिक शॉर्ट टर्म कोर्स करवाएं जाएंगे। इसके लिए बोर्ड इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी के साथ एक एमओयू भी साइन करने जा रहा है। महाराष्ट्र सदन में दत्तोपंत ठेंगड़ी श्रमिक शिक्षा व विकास बोर्ड का 63वां स्थापना दिवस समारोह मनाया गया। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बोर्ड के अध्यक्ष विरजेश उपाध्याय ने कहा कि कोरोना महामारी के बाद पूरे विश्व में लोगों के सोचने का तरीका बदला है। ऐसे में बोर्ड भी अपने काम करने के तरीकों को उसके अनुसार बदल रहा है। इंडस्ट्री 4.0 के मुताबिक बदलते हुए तकनीक के साथ कोई भी एक विशेष स्किल किसी को हमेशा के लिए रोजगार दे यह संभव नहीं है। इस समस्या को देखते हुए बोर्ड ने पहल की है कि एक श्रमिक अपने कार्य जीवन में रोजगारपरक रह सके, इसके लिए काम के साथ साथ शिक्षा की व्यवस्था हो इस पर काम कर रहे हैं। बोर्ड कोशिश कर रहा है कि श्रमिक बदलती तकनीक के साथ अपने स्किल को भी उसके अनुसार बेहतर कर सकें। इसके लिए लर्निंग के साथ साथ अर्निंग कार्यक्रम भी श्रमिकों के शुरू करने जा रहे हैं। इसके लिए इग्नू सहित अन्य शिक्षण संस्थाओं के साथ भी एमओयू साइन करने जा रहे हैं। साथ ही, श्रमिकों को डिजिटली कैसे साक्षर किया जा सके इस दिशा में भी तेजी से काम कर रहे हैं, बोर्ड श्रमिकों को डिजिटल लेनदेन की प्रक्रिया के बारे भी जल्द ट्रेनिंग देगा। विरजेश उपाध्याय ने आगे कहा कि आजादी के बाद सैकड़ो योजनाएं बनीं, लेकिन देखा जाता है कि उनके बजटीय आवंटन भी खर्च नहीं हो पाते हैं। ऐसा नहीं कि लोगों को इसकी आवश्यकता नहीं है, लेकिन उन्हें जानकारी नहीं है कि क्या योजना है और कैसे उसका लाभ ले सकते हैं, इसलिये बोर्ड ने यह निर्णय लिया कि वह जरूरतमंदों को सरकार की योजनाओं से जोड़ने का भी काम करेंगे। आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि एक लेबर कोड ऐसा आया है जो असंगठित और ग्रामीण क्षेत्र के मजदूरों को भी समाहित करता है। इसके तहत जो सुविधाएं और अधिकार कामगारों को मिले हैं वह सब तक पहुंचे इसकी व्यवस्था भी बोर्ड करेगा।

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