उत्तराखंड/ गंगोत्री ग्लेशियर में बहने वाली हवाओं के अध्ययन में पता चला है कि साल भर यहां ठंडी हवाओं के मुकाबले गर्म हवाएं ज्यादा बह रही है। जो कि बर्फ को ज्यादा तेजी से पिघलाने में मदद करती है। राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों की ओर से किए गए केटाबेटिक एंड एनाबेटिक एनालिसिस में यह साफ हुआ है कि गंगोत्री क्षेत्र में वर्ष भर में ठंडी हवाओं से ज्यादा गर्म हवाएं बहती हैं। जिस सीजन में ज्यादा बर्फबारी नहीं होती है, उस सीजन में गर्म हवाओं से गलेशियर तेजी से पिघलते भी हैं और पीछे खिसकने का अनुपात भी बढ़ता है। राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान की ओर से गंगोत्री ग्लेशियर पर अध्ययन के लिए गोमुख से पहले भोजवासा में ऑब्जर्वेटरी स्थापित की गई है। संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. मनोहर अरोड़ा ने बताया कि हाल ही में गंगोत्री क्षेत्र में बहने वाली हवाओं पर अध्ययन किया गया है। इसके लिए केटाबेटिक एंड एनाबेटिक एनालिसिस किया गया है। जिसमें हवा की गति और उसकी प्रकृति के बारे में जानकारी हासिल की जाती है। उन्होंने बताया कि हवा की गति और प्रकृति का ग्लेशियर पर तेजी से प्रभाव पड़ता है। हवा तेज चलने से ग्लेशियर ज्यादा तेजी से पिघलते हैं। साथ ही घाटी में नीचे से ऊपर की ओर बहने वाली गर्म हवाएं ग्लेशियर पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।गंगोत्री में किस तरह की हवाएं बहती है। इसे लेकर अध्ययन किया गया है। वर्ष के अध्ययन के दौरान पाया गया है कि गंगोत्री क्षेत्र में नीचे से ऊपर की ओर बहने वाली गर्म हवाओं का अनुपात 60 प्रतिशत है। जबकि ऊपर से नीचे की ओर बहने वाली ठंडी हवाओं की मात्रा गर्म हवाओं से कम है। एनाबेटिक एनालिसिस में पाया गया कि ग्लेशियर क्षेत्र में ठंडी हवाओं का अनुपात 40 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि ग्लेशियर से वर्ष भर आने वाले पानी का स्रोत 80 से 82 प्रतिशत ग्लेशियर के पिघलने से मिलता है, जबकि स्नो फॉल से महज तीन प्रतिशत और बारिश से 15 प्रतिशत मिलता है।